हुंकार रैली: जिग्नेश मेवाणी बोले- दलितों पर हो रहे अत्याचार पर जवाब दे केंद्र सरकार, VIDEO
मनाही के बावजूद गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और उनके समर्थक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा हुंकार रैली कर रहे हैं। जिग्नेश मेवाणी के साथ अखिल गोगोई, शहला राशिद,...
मनाही के बावजूद गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और उनके समर्थक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा हुंकार रैली कर रहे हैं। जिग्नेश मेवाणी के साथ अखिल गोगोई, शहला राशिद, प्रशांत भूषण और कन्हैया कुमार भी युवा हुंकार रैली और जनसभा के लिए संसद मार्ग पहुंचे। बोलने की शुरुआत में ही माइक खराब होने पर जिग्नेश ने तंज किया कि गुजरात में बिजली ज्यादा है दिल्ली भिजवा दो। गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान अमित शाह के 150 सीटों के टारगेट वाले बयान पर जिग्नेश ने कहा कि गुजरात में जिस तरह युवा तिकड़ी ने 150 सीटों के सपने को तोड़ा, इसके लिए हमें टारगेट किया जा रहा है।
पुलिस अनुमति न मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की 125 करोड़ जनता देख रही है कि हमें अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पूना, सहारनपुर और भीम कोरेगांव मे दलितों पर अत्याचार का जवाब आपको देना होगा। मध्यप्रदेश में किसानों पर गोलियां क्यों दागी गयीं, रोहित वेमुला की हत्या और नजीब को गायब क्यों किया गया, आपको जवाब देना है। ये सारे सवाल गुजरात की विधानसभा में भी पूछेंगे और सड़कों पर उतरकर भी पहुचेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले 4 साल में गाय माता के नाम पर राजनीति की गई। लव जिहाद आदि मुद्दे से असली समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश की गई।
गुजरात के दलित नेता ने कहा, 'भारत डिजिटल तो बने लेकिन रोजी रोटी का सवाल भी जरूरी है। मोदी जी से सवाल है कि सर आप मनुस्मृति और संविधान में से क्या चुनेंगे।'
मेवाणी ने कहा कि सरकार हमारी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों पर बात नहीं होती। इसकी बजाय घर वापसी, जव जेहाद और गाय से जुड़े मसलों की बात होती है।
निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर मेवाणी ने कहा, ''क्या कोई जन प्रतिनिधि संविधान और युवाओं के लिए रोजगार के बारे में बात भी नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ''क्या कोई जन प्रतिनिधि संविधान और युवाओं के लिए रोजगार के बारे में बात भी नहीं कर सकता।
प्रशांत भूषण का सरकार पर हमला
प्रशांत भूषण ने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। सरकार में बैठे लोग चाहते हैं कि ये सब लोग हिन्दू बन जाएं। इमरजेंसी में लोकतंत्र को खतरा था लेकिन अब बीजेपी और आरएसएस के लोगों की वजह से सभ्यता को ही खतरा हो गया है।
विश्विद्यालय को बर्बाद कर दिया। जेएनयू में प्रोफेसर के इंटरव्यू में पूछा जा रहा है कि आपको गोशाला चलानी आती है।विदेशी कंपनियों से राजनीतिक दलों को फंडिंग पर हाइकोर्ट ने फटकार लगाई तो सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया कि विदेशी कंपनियों से भी चंदा लिया जा सकता है।
पूरे देश में युवाओं को एकत्र करेंगेः शेहला राशिद
जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद ने कहा कि पुलिस ने कार्यक्रम को रोकने की पूरी कोशिश की फिर भी बड़ी संख्या में लोग आने में सफल रहे। पूरे देश में युवाओं को एकत्र करेंगे। योगी सरकार ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर एवं कई कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया। छात्र नेताओं को सवाल पूछने पर जेल में डाल दिया
जेएनयू के लापता छात्र नजीब की बहन सदफ ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेरा भाई एक दिन जरूर वापस आएगा। लेकिन उसके जाने के बाद नजीब की शक्ल में मुझे जिग्नेश, कन्हैया जैसे भी मिले।
मेवाणी पार्लियामेंट स्ट्रीट रवाना
इससे पहले दिल्ली पहुंच कर मेवाणी ने कहा कि सरकार हमारी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्हे अपनी बात कहने का पूरा हक है। मैं जनता का चुना गया प्रतिनिधि हूं।
जिग्नेश मेवाणी ने भी ट्वीट कर बीजेपी को चुनौती दी है। जिग्नेश ने लिखा है कि बांध ले बिस्तर बीजेपी, राज अब जाने को है, ज़ुल्म काफ़ी कर चुके, पब्लिक बिगड़ जाने को है।
आपको बता दें कि गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की 'हुंकार' रैली से पहले ही विवाद शुरू हो गया था। एक तरफ जहां पुलिस की तरफ से इस रैली की अनुमति नहीं दी जा गई। वहीं सीनियर वकील प्रशांत भूषण खुलकर मेवाणी के समर्थन में उतर आए।
सुरक्षाबलों की तैनाती
बताया जा रहा है कि 26 जनवरी की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें रैली की इजाजत नहीं मिली है। पार्लियामेंट स्ट्रीट पर दिल्ली पुलिस ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया। पुलिस आंसू गैस और वाटर कैनन के साथ तैयार है। जामिया से आ रहीं 2 बसों को पुलिस ने पहले ही रोक दिया
नई दिल्ली के डीसीपी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि रैली के आयोजकों को लगातार किसी और जगह पर जाने का सुझाव दिया जा रहा है, लेकिन वो मान नहीं रहे हैं।
एनजीटी ने लगाई है रोक
आपको बता दें कि एनजीटी ने पिछले साल पांच अक्तूबर को अधिकारियों को जंतर मंतर रोड पर धरना, प्रदर्शन, लोगों के जमा होने, भाषण देने और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल संबंधी गतिविधियां तत्काल रोकने का आदेश दिया था।