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अस्पतालों में डॉक्टरों की भर्तियों पर गुमराह कर रहे दिल्ली सरकार के मंत्री, एलजी ऑफिस का पलटवार

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय ने बुधवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज पर तीखा हमला करते हुए उन पर अस्पतालों में चिकित्सकों की भर्ती पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।

अस्पतालों में डॉक्टरों की भर्तियों पर गुमराह कर रहे दिल्ली सरकार के मंत्री, एलजी ऑफिस का पलटवार
Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीWed, 7 Aug 2024 06:58 PM
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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय ने बुधवार को आप सरकार और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज पर तीखा हमला करते हुए उन पर अस्पतालों में चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों के रिक्त पदों सहित विभिन्न मुद्दों पर लोगों और न्यायपालिका को गुमराह करने के लिए झूठ का जाल बुनने का आरोप लगाया। उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि विभिन्न पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है, हालांकि मंत्री अपनी और आप सरकार की भारी विफलताओं को छिपाने के लिए रोजाना झूठ का जाल बुन रहे हैं।

राजनिवास ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भर्तियों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। राजनिवास ने बुधवार को कहा कि सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की भर्ती के लिए कभी भी कोई ठोस प्रयास नहीं किया। सिर्फ झूठे बहाने बनाने का ही काम किया गया है। राजनिवास ने कहा कि डॉक्टरों की नियुक्ति-भर्ती आदि का कार्य राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) के अधिकार क्षेत्र में आता है। मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। 

राजनिवास ने कहा- इस प्राधिकरण की बैठक बुलाने और ऐसा कोई भी निर्णय लेने का अधिकार कानून उन्हें देता है। यदि उनकी मंशा डॉक्टरों आदि को अनुबंध के आधार पर नियुक्त करने की होती तो इसके लिए तुरंत ही प्राधिकरण की बैठक बुलाई होती। 

राजनिवास के मुताबिक, मुख्यमंत्री द्वारा डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्ती के मामले को एजेंडे में रखने का निर्देश देने की बजाय इसी वर्ष जनवरी में उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजकर इस मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की गई। नियम के अनुसार नियुक्तियों, ट्रांसफर-पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई समेत किसी भी सेवा संबंधी मामले का निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले प्राधिकरण द्वारा ही किया जाता है और इसके पश्चात उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाता है।

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