ट्रैक्टर परेड के साथ लाल किला में घुसे सभी किसानों को देर रात वापस दिल्ली बार्डर की ओर भेज दिया गया। लाल किला परिसर को पूरी तरह खाली करा लिया गया। इस दौरान पूरे दिन पुलिस ने गजब के संयम और धैर्य का पालन किया। पुलिस ने यहां किसानों का हमला झेलने के बाद भी अपनी तरफ से बल प्रयोग से परहेज किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने स्पेशल सीपी रैंक के अधिकारी समेत कई पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की और मारपीट की। इससे बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल भी हुए।
पुलिस की कई बैरिकेडिंग तोड़ते हुए मंगलवार की दोपहर प्रदर्शनकारी अपने ट्रैक्टर के साथ लाल किला पहुंच गए थे। लाल किला पर मौजूद स्पेशल सीपी रैंक के अधिकारी राजेश खुराना, जिले के डीसीपी अंटो अल्फोंस सहित कई पुलिस अधिकारियों से धक्का-मुक्की की। उन्हें बचाने आए पुलिसकर्मियों पर तलवार से हमला कर घायल कर दिया। इसके बाद भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग से परहेज किया। हमले का एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें दिख रहा है कि किसानों के हमले से बचने के लिए पुलिसकर्मी सुरक्षा नाले के नजदीक आ जाते हैं, लेकिन उपद्रवी यहां भी उनपर ताबड़तोड़ वार करते हैं। इस दौरान कई पुलिसकर्मी ऊपर से नीचे गिरते दिखाई दे रहे हैं।
किसानों का हमला नहीं रुका तो पुलिस ने किसान नेताओं से संपर्क कर आंदोलनकारियों को संयम बरतने और वापस जाने की अपील भी कराई। जब कोई असर नहीं हुआ तो लाल किला परिसर में पुलिस और सुरक्षा बलों की उपस्थिति बढ़ाई जाने लगी। इसके बाद प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर से निकलने शुरू हुए। किसानों को शांति से दिल्ली बार्डर पर लौटने की अपील की गई। इसके बाद किसान धीरे-धीरे लौटने लगे और देर रात लालकिला परिसर पूरी तरह खाली होने पर पुलिस ने राहत की सांस ली।
किसान नेताओं ने लाल किले की घटना की जांच की मांग की
गणतंत्र दिवस के मौके पर नए कृषि कानून रद्द कराने को लेकर आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा लालकिले पर हुड़दंग करने की संयुक्त किसान मोर्चा ने कड़ी निंदा की है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने हिंसा व लाल किले पर झंडा फहराने की घटना से खुद को अलग किया है।
उन्होने कहा कि मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने पुलिस द्वारा तय मार्ग पर ट्रैक्टर किसान रैली निकाली है। हिंसा करने वाले आराजक तत्व हैं जोकि शांतिपर्णू तरीके से चले रहे किसान आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं। नेताओं ने इस घटना की जांच की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा के शीर्ष नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि ट्रैक्टर किसान रैली शुरू होने से पहले सुबह किसानो से शांतिपूर्ण मार्च करने की अपील की थी। सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर से किसान संगठनों ने पुलिस द्वारा तय मार्ग पर रैली निकाली है। कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा लालाकिले पर हंगामा करना, लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहरना, जगह जगह हिंसा करने के सवाल पर राजेवाल ने कहा कि किसान आदोलन शांतिपूर्ण चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा। जो लोग हिंसा, तोड़फोड़ कर रहे हैं उनसे हमारा कोई लेना देना नहीं है। लाल किले, आईटीओ व दिल्ली के अन्य स्थानों पर जो हुआ है वह दुखद है, हम उसकी निंदा करते हैं।
भाकियू किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे किसानों ने शांतिपूर्ण ट्रैक्टर रैली पुलिस के बताए हुए मार्गपर निकाली है। हमारे संगठन ने रिंग रोड पर जाने की कभी बात नहीं की और न ही हम गए हैं। जिन लोगों ने रैली में गड़बड़ी की है वह चिन्हित हैं। इसमें राजनीतिक दल के लोगों का हाथ है। जिससे किसान आंदोलन को कमजोर कर सकें। किसान परेड को प्रशासन ने सहयोग नहीं किया और कुछ रास्तों को अधिक समय तक बंद रखा गया, जिससे किसान उत्तेजित हुए। बाद में किसानो के दबाव में रास्तों को खोला गया। इस घटना की जांच होनी चाहिए। हो सकता है कि पुलिस के कुछ लोग किसानो को उकसा रहे हों।
मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि लाल किला पर झंडा फहराने का प्रयास अक्षम्य है। ऐसे लोग संयुक्त मोर्चा का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। हिंसा से आंदोलन कमजोर होगा, बदनाम होगा। यादव ने कहा कि जिस संगठन ने यह हरकत की है उसकी जानकारी प्रशासन को थी। 95 फीसदी किसानों ने पूर्व निर्धारित तय मार्गों पर ही परेड निकाली है और शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ते गए। दो चार प्रतिशत लोगों ने अनुशासनहीनता की है जिससे शांति भंग हुई और आंदोलन कमजोर हुआ है।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि संयुक्त मोर्चा का लाल किला परिसर में झंडा लगाने का कोई कार्यक्रम नहीं था। किसानों को गुमराह किया गया है, उन्होंने गलत काम किया। इस संगठन की जानकारी प्रशासन को भी थी। दर्शनपाल ने कहा कि हिंसा के बावजूद किसानो का आंदोलन जारी रहेगा। ट्रैक्टर किसान रैली के दौरान अनेक स्थानों पर पुलिस व किसानो के बीच टकराव हुआ। जिसमें कुछ पुलिस कर्मी व किसान घायल हुए हैं। प्रदर्शन के दौरान वाहनों को भी क्षतिग्रस्त किया गया। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े व लाठी चार्ज किया। विदित हो कि नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन 62 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।