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किडनी देकर देवी का रूप बनीं मां-बेटी और पत्नी, जानें पूरा मामला

हापुड़ के सुरेश के लिए उनकी मां, पत्नी और बेटी ही देवी का रूप हैं। तीनों ने अनमोल त्याग देकर उन्हें जीवनदान दिया। वह किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित हुए, जिसके चलते उन्हें तीन बार प्रत्यारोपण...

किडनी देकर देवी का रूप बनीं मां-बेटी और पत्नी, जानें पूरा मामला
नोएडा | वरिष्ठ संवाददाता Tue, 01 Oct 2019 04:05 PM
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हापुड़ के सुरेश के लिए उनकी मां, पत्नी और बेटी ही देवी का रूप हैं। तीनों ने अनमोल त्याग देकर उन्हें जीवनदान दिया। वह किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित हुए, जिसके चलते उन्हें तीन बार प्रत्यारोपण करवाना पड़ा। और तीनों बार उनके परिवार की महिलाओं ने किडनी देकर उन्हें बचाया। गढ़ मुक्तेश्वर के नानई गांव के सुरेश अब स्वस्थ और अपने परिवार के शुक्रगुजार हैं।

वर्ष 2011 में सुरेश कुमार का पहला किडनी प्रत्यारोपण हुआ। उस दौरान उनकी उम्र महज 35 वर्ष थी। कमजोरी व अन्य लक्षणों की जांच कराने के दौरान पता चला कि उनकी दोंनो किडनी खराब हो गई हैं। गुड़गांव के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि जल्द किडनी प्रत्यारोपण करना होगा। बेटे की यह स्थिति देख मां बिरमा देवी ने अपनी एक किडनी देने की हामी भरी।

सुरेश का दुर्भाग्य रहा कि यह किडनी उनके शरीर में केवल चार साल काम कर पाई। हालात पहले जैसे हो गए। अबकी बार सुरेश की पत्नी सुरेश की पत्नी सीता देवी ने किडनी देने का निर्णय लिया। जेपी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण किया गया, लेकिन एक साल बाद ही सुरेश में फिर से किडनी खराब होने के लक्षण दिखने लगे।

डॉक्टरों ने उनकी जांच की तो पता चला कि इस बार भी पहले ट्रांसप्लांट जैसी स्थिति ही है। यानी उन्हें फिर नई किडनी की जरूरत है। इस सूचना के बाद मानो परिवार के सदस्यों के पैरों तले जमीन खिसक गई। लेकिन पिता की अंगुलियों को पकड़कर पहला कदम बढ़ाने वाली बेटी आगे आई। 21 वर्षीय काजल ने अपनी किडनी पिता को दी। अब वह स्वस्थ हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अब उन्हें पहले जैसी स्थिति से नहीं गुजरना होगा।

''जीवन में मां-पिता से बढ़कर और कोई नहीं हो सकता। मुझे पिता को किडनी देने में किसी भी तरह की हिचक नहीं हुई, क्योंकि अगर मेरा परिवार सुरक्षित है तो मैं सुरक्षित हूं।'' -काजल, सुरेश कुमार की बेटी

''एक ही मरीज में तीन बार किडनी का ट्रांसप्लांट काफी जटिल प्रक्रिया है। ऐसे काफी कम केस हैं। किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण मधुमेह और अनियंत्रित ब्लड प्रेशर है।'' -डॉ. अमित के देवरा, किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक, जेपी अस्पताल 

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