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दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों में कॉर्डिनेटर के सहारे चल रहा था किडनी का काला कारोबार

दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण के काले कारोबार में कोऑर्डिनेटर के नाम सामने आए हैं। इससे पहले भी कई अस्पतालों में कानूनी रूप से अंग प्रत्यारोपण के लिए नियुक्त कोऑर्डिनेटरों की...

दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों में कॉर्डिनेटर के सहारे चल रहा था किडनी का काला कारोबार
नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाता Tue, 19 Feb 2019 01:19 PM
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दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण के काले कारोबार में कोऑर्डिनेटर के नाम सामने आए हैं। इससे पहले भी कई अस्पतालों में कानूनी रूप से अंग प्रत्यारोपण के लिए नियुक्त कोऑर्डिनेटरों की गिरफ्तारियां हुई हैं। किडनी और लिवर प्रत्यारोपण के इस काले धंधे में कोऑर्डिनेटर का ही इस्तेमाल किया जाता है।

इन कोऑर्डिनेटर के जरिए ही सौदा किया जाता है और दानकर्ता के फर्जी आधार कार्ड से लेकर तमाम दस्तावेज तैयार कराने में भी कोऑर्डिनेटर ही मुख्य भूमिका निभाते हैं। दानकर्ता से लेकर किडनी प्राप्त करने वाले मरीज के परिजनों तक को कोऑर्डिनेटर ही डॉक्टरों से मिलवाते हैं। 

खुलासा: दिल्ली के बड़े अस्पतालों में किडनी का काला कारोबार

हालांकि, इस मुलाकात को इस तरह रखा जाता है, ताकि ऐसा लगे कि डॉक्टरों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस पूरे काम में अस्पताल पर आंच न आए, इसलिए डॉक्टरों और अस्पताल को खरीद-फरोख्त से दूर रखा जाता है। इस धंधे में कोऑर्डिनेटर ही प्राप्तकर्ता और दानकर्ता के संबंधों के तमाम दस्तावेज एवं उनके संबंध पता करने वाले एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) टेस्ट की रिपोर्ट तक बदलवाने में मदद करते हैं। बड़े अस्पतालों में यह डील आसानी से हो जाती है। इस धंधे में किडनी और लिवर डोनर को 4 से 5 लाख रुपये ही मिलते हैं, बाकी पैसा कॉओर्डिनेटर व पूरे धंधे में शामिल लोगों के बीच बांट दिया जाता है। यह धंधा दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहरों में चल रहा है। 

यह है प्रत्यारोपण की प्रक्रिया : पीएसआरआई अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव गुप्ता के मुताबिक, प्रत्यारोपण से पहले तीन चरणों की प्रक्रिया से गुजरना होता है। ऐसे में किसी फर्जीवाड़े का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने बताया कि प्रत्यारोपण से पहले किडनी के फिजिशियन (नेफ्रेलोजिस्ट) देखते हैं कि क्या किसी मरीज को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत है या नहीं। इसके बाद अस्पताल के किडनी सर्जन (यूरोलोजिस्ट) की सलाह के बाद प्रत्यारोपण का फैसला किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद एक मेडिकल समिति बनाई जाती है जो दान करने वाले और जरूरतमंद मरीज के संबंधों के बारे में एचएलए टेस्ट और प्रमाणपत्र के आधार पर जांच करती है। इसके बाद एक उच्च स्तरीय प्राधिकरण समिति तमाम जांच के बाद इसकी अनुमति देती है। समिति में दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील के अलावा दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से दो वरिष्ठ डॉक्टर होते हैं। कॉर्डिनेटर मरीजों और डॉक्टरों के बीच की कड़ी होते हैं। ये दानकर्ता और प्राप्तकर्ता को प्रत्यारोपण के लिए जरूरी सभी जरूरी दस्तावेजों के बारे में जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। 

यह है मामला

बांदा की संगीता पर किडनी डोनेट करने के लिए आरोपी जुनैद, मोहित निगम, राजू राय, करन दबाव बना रहे थे। आरोपी उसे दिल्ली के सर गंगाराम ले गए थे। गिरोह के संपर्क में अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी हो सकते हैं। अब पुलिस उनसे भी पूछताछ करेगी।

ऐसी घटना हुई है तो वह शर्मिंदा करने वाली है। देश में कठोर नियमों के बावजूद मानव अंगों की तस्करी हो रही है तो पुलिस को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। शिकायत मिलती है तो राज्य स्तरीय समिति कार्रवाईकरेगी। -डॉ. वसंती रमेश, निदेशक, राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) 

अभी तक दिल्ली के अस्पतालों की घटना में संलिप्तता उजागर नहीं हुई है। राजधानी में अंग प्रत्यारोपण को लेकर सख्त कानून लागू है। कानपुर पुलिस सबूतों के साथ मांग करती है तो जांच की जाएगी। -डॉ. अशोक कुमार, दिल्ली स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक 

पीएसआरआई अस्पताल आरोप निराधार बताए

कानपुर पुलिस ने खुलासा किया है कि किडनी और लिवर प्रत्यारोपण गिरोह के तार दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों से जुड़े हैं। इस खुलासे में शेख सराय स्थित पीएसआरआई अस्पताल के दो कॉर्डिनेटर सुनीता और मिथुन का नाम आने के बाद अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उन पर लगे आरोप निराधार हैं। पीएसआरआई अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव गुप्ता का कहना है कि सुनीता उनके अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण की कॉर्डिनेटर हैं और मिथुन लिवर प्रत्यारोपण के कॉर्डिनेटर हैं। सुनीता पांच साल से उनके अस्पताल में काम कर रही हैं। वहीं, मिथुन पिछले एक साल से पीएसआरआई का कर्मचारी है। 

पहले भी कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी

2017 : दिल्ली में किडनी की खरीद-फरोख्त में शामिल महिला सहित चार लोगों को गिरफ्तार 

2016 : साउथ-ईस्ट दिल्ली स्थित मशहूर हॉस्पिटल अपोलो में किडनी कांड का खुलासा, तीन दलाल समेत छह लोग गिरफ्तार किए गए 

2016 : मुंबई के एलएच हीरानंदानी अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नीलेश किडनी ट्रांसप्लांट में गिरफ्तार 

2015 : जालंधर किडनी कांड में नेशनल किडनी अस्पताल की ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर गिरफ्तार 

आरोप नकारे 

हमारे पास फिलहाल इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। अस्पताल इस तरह के किसी भी मामले में शामिल नहीं है। घटना के बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद ही आधिकारिक तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। -अजय सहगल, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली

इस मामले से हमारा कोईलेनादेना नहीं है।हम एचएलए टेस्ट और प्राप्तकर्ता व दानकर्ता के संबंधों की जांच पड़ताल के बाद ही किडनी या लिवर का प्रत्यारोपण कानूनी तरीके से कराते हैं। -अजय महाराज, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन प्रमुख, फोर्टिस

श्रीलंका और टर्की तक फैला जाल

नई दिल्ली/कानपुर| दिल्ली के बड़े अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण का काला कारोबार कर रहे गिरोह का जाल श्रीलंका और टर्की तक फैला हुआ है। 

यह खुलासा कानपुर पुलिस द्वारा पकड़े गए गिरोह के छह लोगों ने सोमवार को हुई पूछताछ में किया। कानपुर के एसएसपी अनंत देव ने बताया कि गैंग का सरगना टी राजकुमार, गौरव मिश्रा और शैलेष सक्सेना निवासी जैतपुर, दिल्ली का कनेक्शन विदेशों से भी था। इनसे दिल्ली का कथित डॉक्टर केतन कौशिक भी जुड़ा था, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है। चारों आरोपी डोनर को अंग प्रत्यारोपण के लिए श्रीलंका और टर्की ले जाते थे। इसके साथ ही विदेशों के मरीजों को देश में किडनी, लिवर प्रत्यारोपण के लिए बुलाते थे। राजकुमार राव और शैलेष की गिरफ्तारी 2015 में दिल्ली अपोलो किडनी कांड में भी हो चुकी है। केतन का नाम जालंधर व दिल्ली कांड से भी जुड़ा था। मजबूत कनेक्शन के चलते वह दोनों बार पुलिस से बचकर विदेश भाग गया था। गिरफ्तार आरोपितों ने गिरोह के 13 अन्य सदस्यों के नाम बताए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए विशेष जांच टीम गठित की गई है। 

दिल्ली पुलिस भी छापेमारी कर रही

एसएसपी ने बताया कि मानव अंग प्रत्यारोपण के कारोबार में दिल्ली के पीएसआरआई हॉस्पिटल की कोऑर्डिनेटर सुनीता व मिथुन और फोर्टिस की सोनिका का नाम सामने आया है। तीनों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस का सहयोग लिया जा रहा है। कानपुर पुलिस की दो टीम तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।

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