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खान चाचा रेस्तरां ऑक्सीजन मामला: नवनीत कालरा की जमानत पर अदालत गुरुवार को सुनाएगी अपना फैसला

खान चाचा रेस्तरां में ऑक्सीजन सांद्रक कालाबाजारी मामले में बुधवार को कारोबारी नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को अभियोजन व बचाव पक्ष के बीच जोरदार बहस हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की जिरह...

खान चाचा रेस्तरां ऑक्सीजन मामला: नवनीत कालरा की जमानत पर अदालत गुरुवार को सुनाएगी अपना फैसला
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीWed, 12 May 2021 10:41 PM
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खान चाचा रेस्तरां में ऑक्सीजन सांद्रक कालाबाजारी मामले में बुधवार को कारोबारी नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को अभियोजन व बचाव पक्ष के बीच जोरदार बहस हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर गुरुवार तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने कहा कि वह सुबह दस बजे इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी।

साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग की अदालत में नवनीत कालरा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा और विनीत मल्होत्रा ने बहस की, वहीं अभियोजन पक्ष की तरफ से लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव बहस में शामिल हुए। दिल्ली पुलिस ने मामले में धोखाधड़ी, आवययक वस्तु अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। 

बचाव पक्ष के अधिावक्ता विकास पाहवा ने अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हुए कहा कारोबारी नवनीत कालरा ने वैधानिक तरीके से ऑक्सीजन सांद्रक को विदेश से आयात किया। इस दौरान उन्होंने सभी प्रकार के कर जिनमें जीएसटी भी शामिल है का भुगतान किया। इसके अलावा बिक्री के दौरान भी उन्होंने पूरे वैधानिक तरीकों का पालन किया।

जब सभी टैक्स रूल्स और बिल अदा किए गए हैं ऐसे में कालाबाजारी और जमाखोरी का सवाल कहां उठता है। साथ ही अधिवक्ता पाहवा ने कहा कि जिस समय यह प्राथमिकी दर्ज हुई तब तक सांद्रक के दाम सरकार ने तय नहीं किए गए थे। फिर किस आधार पर उनके मुवक्किल पर कालाबाजारी का आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह नैतिकता का मामला हो सकता है वैधानिकता का नहीं। 

बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष अधिवक्ता अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि नवनीत कालरा ने न सिर्फ महामारी के समय निम्न स्तर के ऑक्सीजन सांद्रक बेचे हैं बल्कि मोटा मुनाफा कमाने के लिए उन्हें नियत दामों से अधिक दाम पर भी बेचा। अधिवक्ता अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि नवनीत के तीन रेस्तरां से 524 ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किए गए थे। 

उन्होंने कहा कि शक है कि उसने परिवार के साथ दिल्ली छोड़ दी है। ये सांद्रक कोविड-19 प्रबंधन में इस्तेमाल आने वाले अहम मेडिकल उपकरण हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि कालरा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरुरी है। जमानत नहीं देनी चाहिए क्योंकि वह प्रभावशाली व्यक्ति है। लोक अभियोजक ने कहा कि उसकी मंशा बड़े और गलत लाभ के लिए लोगों के साथ धोखाधड़ी करने की थी। 

अगर दिल्ली पुलिस गिरोह का भंडा नहीं फोड़ती तो लोगों के साथ धोखाधड़ी हो गई होती। श्रीवास्तव ने कहा कि दयाल ऑप्टिकल के मालिक कालरा ने ऑक्सीजन सांद्रकों का कारोबार लालच में शुरू किया। अभियोजन ने अदालत को प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बारे में भी बताया जो कहती है कि जब्त ऑक्सीजन सांद्रक काम नहीं कर रहे हैं, खराब गुणवत्ता के हैं और उनके काम करने की क्षमता 20.8 प्रतिशत है।

अग्रिम जमानत का बताया आधार
बचाव विकास पाहवा ने अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई गए एफआईआर में शामिल केवल धोखाधड़ी की धारा में ही सात वर्ष से अधिक की सजा है। जबकि बाकी अन्य धाराओं में इससे कम की सजा है जिनमें अग्रिम जमानत मिल सकती है। 

उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी हवाला दिया। विकास ने कहा कि अनिवार्य वस्तु अधिनियम- 2013 से लेकर अभी तक सरकार ने ऑक्सीजन सांद्रक को अधिनियमित नहीं किया है। ऐसे में कालाबाजारी और जमाखोरी जैसी धाराएं इस मामले में जोड़ी नहीं जा सकती हैं। बहरहाल अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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