उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के एक मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि इस मामले में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने समुदाय के नेताओं के भड़काऊ भाषण में आकर बहक गए और दंगाइयों में शामिल हो गए। दंगों का यह मामला इतना बड़ा है कि इसमें जितने आरोपी तलाशते जाओगे, संख्या बढ़ती जाएगी। बेहतर है कि ऐसे आरोपियों में खामियां ढूंढने की बजाय उनमें सुधार की संभावना तलाशी जाए। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ एक आरोपी को सुधार की संभावना का हवाला देते हुए जमानत दी है।
कड़कड़डूमा स्थित विशेष न्यायाधीश सुनील चौधरी की अदालत ने कहा कि दंगों के पीछे साजिश बड़ी थी। लेकिन जो लेाग मोहरा बने उनमें से अधिकतर का पूर्व का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। जांच में ऐसे लोग भी सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए जो इलाके के काफी शांत और मिलनसार लोगों में गिने जाते थे। ऐसे में अदालतों को इस नजरिए से पूरे मामले को देखना चाहिए कि इन दंगों में जो लोग साजिश का हिस्सा नहीं थे और जो नेताओं के भड़काने या आवेश में आकर इसमें शामिल हो गए, उनके खिलाफ यदि पूर्व में किसी किस्म का मुकदमा नहीं है तो उन्हें सुधार का मौका देना चाहिए। उन्हें समझने का मौका देना चाहिए कि उन्हें मोहरा बना कर तबाही की गई है।
आरोपी को दी जमानत
अदालत ने दंगों के एक आरोपी को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतने ही रुपये मूल्य के जमानती के आधार पर जमानत प्रदान की है। अदालत ने कहा है कि जांच अधिकारी द्वारा पेश रिपोर्ट के मुताबिक इस आरोपी के खिलाफ पूर्व में ना कोई मुकदमा दर्ज है, ना कोई शिकायत है। अदालत ने आरोपी को भी कहा है कि वह समझे कि उसकी समझ में कहां कमी रह गई थी जो वह दंगाइयों से जा मिला। वह यह भी समझे कि दंगों में किसी का भला नहीं है। यह एक लोकतांत्रिक देश है। यहां सभी लोग बराबर हैं।
सीसीटीवी कैमरा तोड़कर हुई थी लूटपाट
इस मामले में पीड़ित ने पुलिस शिकायत की थी कि 25 फरवरी को उसके घर के बाहर भीड़ एकत्रित हो गई। भीड़ ने उसके घर में लगे कैमरे को तोड़ा। उसके घर की खिड़की को तोड़ा और बाहर खड़ी साइकिल को लूट कर ले गए। इस बाबत दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल ने कुछ दूरी पर लगे सरकार के सीसीटीवी कैमरे का हवाला देकर बताया कि भीड़ में कई लोगों की पहचान हुई।
15 जुलाई को हुई थी गिरफ्तारी
मामले में एक अन्य आरोपी से पूछताछ के बाद इस आरोपी को बीती 15 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। उस आरोपी ने बताया था कि उसके साथ यह आरोपी भी था। हालांकि वह यह नहीं बता पाया कि यह आरोपी किसी तोड़फोड़ या जान-माल के नुकसान में शामिल था या नहीं।
मुख्य साजिशकर्ताओं की पहचान करे पुलिस
अदालत ने कहा कि दंगों से संबंधित 751 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं जबकि 25 सौ से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी अब तक हो चुकी है। गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। अदालत ने कहा कि पुलिस को उन लोगों को छांट लेना चाहिए जो इन दंगों की साजिश और इन्हें अंजाम देने में मुख्य भूमिका में थे। क्योंकि यह साजिश बहुत बड़ी है। उन लोगों तक पहुंचना जरूरी है जिन्होंने देश की एकता, अखंडता और शांति भंग करने का प्रयास किया।