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कम डॉक्टरों वाले देशभर के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर खतरा

संसाधनों, प्राध्यापकों और रेजिडेंट डॉक्टर की कमी से जूझ रहे देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता छीनी जा सकती है। हाईकोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के बोर्ड ऑफ गवर्नर के उस फैसले को...

कम डॉक्टरों वाले देशभर के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर खतरा
नई दिल्ली | प्रभात कुमार Tue, 17 Sep 2019 04:11 PM
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संसाधनों, प्राध्यापकों और रेजिडेंट डॉक्टर की कमी से जूझ रहे देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता छीनी जा सकती है। हाईकोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के बोर्ड ऑफ गवर्नर के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें निजी मेडिकल कॉलेज में पांच फीसदी से अधिक प्राध्यापकों व रेजिडेंट डॉक्टर की कमी पर एमबीबीएस का नया बैच शुरू करने पर रोक लगा दी गई है।

जस्टिस अनु मल्होत्रा ने कई निजी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला दिया है। मेडिकल कॉलेजों ने एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर के उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसके तहत उनको शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए एमबीबीएस का नया बैच शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि निरीक्षण के दौरान मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापकों, रेजिडेंट डॉक्टर, संसाधनों के साथ-साथ मरीजों की भी कमी है।

यहां तक कि इन कॉलेज में बड़ा व छोटा ऑपरेशन की संख्या भी काफी कम है, ऐसे में इन मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस का नया बैच शुरू करने की अनुमति नहीं देने के एमसीआई के फैसले में किसी तरह की कमियां नजर नहीं आती हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज में 84 फीसदी तक प्राध्यापकों, 65 फीसदी से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।

याचिका खारिज : हाईकोर्ट ने पांच निजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया है। एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर ने इन कॉलेज को अगले सत्र में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को दाखिला देने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले प्राय: सभी मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापकों, रेजिडेंट डॉक्टरों के अलावा संसाधनों की कमी के बारे में एमसीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने जानकारी दी।

वेंकटेश्वरा इंस्टीट्यूट में प्राध्यापकों की भारी कमी : एमसीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वेंकटेश्वरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (मेडिकल कॉलेज) में प्राध्यापकों की संख्या में 83.7 फीसदी की कमी पाई गई, जबकि रेजिडेंट डॉक्टर की संख्या में 65.16 फीसदी की कमी थी। वहीं कॉलेज के अस्पताल में भर्ती मरीजों की औसत संख्या महज 16 फीसदी थी। इसके अलावा छह अन्य तरह की कमिया थीं, जिसके आधार पर एमबीबीएस के नए बैच पर एमसीआई ने रोक लगा दी थी। यह मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश में हैं।

कॉलेज की दलील को खारिज किया

हाईकोर्ट ने मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मेरठ की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एमसीआई की कमेटी ने पिछले साल नवरात्र के अगले दिन निरीक्षण किया था। इसकी वजह से निरीक्षण के दौरान प्राध्यापक व रेजिडेंट डॉक्टर की कमी पाई थी। निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इस मेडिकल कॉलेज में 7.4 फीसदी प्राध्यापकों, 8.5 फीसदी रेजिडेंट डॉक्टर की कमी थी। इतना ही नहीं, एमसीआई रिपोर्ट के अनुसार इस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी के साथ-साथ तकनीकी व अन्य संसाधनों की कमी थी। कॉलेज ने 150 क्षमता वाले एमबीबीएस का दूसरा बैच शुरू करने की अनुमति मांगी थी। 

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