भूजल संरक्षण की नीति बनाएंगे आईआईटी-आईआईएम के विशेषज्ञ
दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में तेजी से कम होते भूजल स्तर के संरक्षण के लिए आईआईटी-आईआईएम के विशेषज्ञ नीति बनाएंगे। नीति बनाने में नीति आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञ...
दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में तेजी से कम होते भूजल स्तर के संरक्षण के लिए आईआईटी-आईआईएम के विशेषज्ञ नीति बनाएंगे।
नीति बनाने में नीति आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञ उन्हें मदद करेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश का पालन करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भूजल संरक्षण की नीति बनाने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित की है। समिति भूजल संरक्षण और पर्यावरण को ध्यान में रखकर समुचित नीति बनाएगी।
ट्रिब्यूनल प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मंत्रालय ने समिति के गठित करने की जानकारी दी। हालांकि, समिति गठित करने में हुई देरी पर पीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की कड़ी खिंचाई की।
30 जून तक रिपोर्ट पेश करनी है : मामले में पीठ ने विशेषज्ञ समिति से 30 जून तक भूजल संरक्षण की नीति बनाकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। पीठ ने कहा है कि अगर तय समय तक रिपोर्ट पेश नहीं करते हैं तो मंत्रालय के संयुक्त सचिव को निजी रूप से पेश होकर सफाई देनी होगी।
दो सप्ताह में कमेटी गठित करने का आदेश दिया था
ट्रिब्यूनल ने 3 जनवरी, 2019 को नीति आयोग की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि दो सप्ताह के भीतर आईआईटी दिल्ली और रूड़की, आईआईएम अहमदाबाद, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नीति आयोग के विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए, जिससे तेजी से कम होते भूजल के संरक्षण के लिए नीति बनाई जा सके। मामले की सुनवाई के दौरान मंत्रालय ने बताया कि यह समिति 29 मार्च, 2019 को गठित कर दी गई है। पीठ ने भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कमियां बताते हुए इसे प्रभावी बनाने का आदेश दिया था।
नीति आयोग की रिपोर्ट में क्या कहा गया
- पानी की गुणवत्ता के मामले में दुनिया के 122 देशों में भारत का 120वां स्थान है।
- अधिकांश राज्यों ने भूजल संसाधनों की वृद्धि में कुल स्कोर का 50% से कम हासिल किया है, जो एक बढ़ते राष्ट्रीय जल संकट को उजागर करता है।
- देश के 54% हिस्से में भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है। 21 बड़े शहरों में 2020 तक जलसंकट के गंभीर खतरे हो सकते हैं।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों ने भूजल संरक्षण के लिए कोई संसाधन विकसित नहीं किया।