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हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रही सर्दी, दिल्ली में 15% बढ़े केस; क्या बरतें सावधानी

दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए यह सर्दी बेहद भारी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बार दिल्ली एनसीआर में शीतलहर के दौरान खासकर सुबह के वक्त ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ी है।

हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रही सर्दी, दिल्ली में 15% बढ़े केस; क्या बरतें सावधानी
Krishna Singhएएनआई,नई दिल्लीThu, 12 Jan 2023 09:29 PM

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उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की सर्दी जानलेवा साबित होने लगी है। खासकर शीतलहर के दौरान सुबह की सैर स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाने के बाजाए सेहत पर भारी पड़ रही है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शीतलहर के दौरान खासकर सुबह के वक्त दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में दिल के दौरे, ब्रेन स्ट्रोक और हाई बीपी के ज्यादा रोगी देखे गए हैं। एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि हमने कड़ाके की सर्दी और शीतलहर के 12 दिनों के दौरान सुबह के वक्त अस्पताल में हृदयाघात, मस्तिष्क आघात और उच्च रक्तचाप के मरीजों के भर्ती होने की संख्या में बढ़ोतरी देखी है। 

डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि हमने आम दिनों की तुलना में शीतलहर के दौरान सुबह के वक्त अस्पताल में हृदयाघात, मस्तिष्क आघात और उच्च रक्तचाप के लगभग 10-15 फीसद ज्यादा रोगियों को भर्ती होते देखा। प्रभावितों में सबसे अधिक सख्या 50 से 70 साल की उम्र वर्ग के लोगों की है। अस्पताल के ओपीडी वार्ड वायरल संक्रमण के मरीजों से भरे हैं। कड़ाके की सर्दी में लोगों को अपने स्वास्थ्य का ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है। मधुमेह और रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे लोगों को अपनी सेहत की नियमित जांच करानी चाहिए। खासकर शीतलहर के दौरान सुबह के वक्त टहलने से बचना चाहिए और गर्म कपड़े पहनने चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के निजी अस्पतालों में भी स्ट्रोक के रोगियों की संख्या में 9 फीसद की वृद्धि देखी गई है। नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोसर्जरी एवं न्यूरो-इंटरवेंशन विभाग के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा- हमने सर्दियों के दौरान स्ट्रोक के रोगियों की संख्या में 9 फीसद की वृद्धि देखी है। विशेषकर मेट्रो शहरों में लगभग 25 फीसद रोगी 45 वर्ष से कम आयु के हैं। डॉ. गुप्ता ने नींद की कमी, मल्टी-टास्किंग, खराब गुणवत्ता वाले भोजन और बहुत अधिक मानसिक तनाव जैसी जीवनशैली को इसके लिए जिम्मेदार बताया। 

डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा- अत्याधुनिक तकनीक के कारण मधुमेह और उच्च रक्तचाप का पता अब काफी अर्ली स्टेज में ही लग जाता है। ऐसे रोगियों को सख्त परहेज और डॉक्टरों की नियमित सलाह की जरूरत होती है। युवा पीढ़ी इन बीमारियों की शुरुआती चेतावनियों की उपेक्षा करती है। नतीजतन अचानक स्ट्रोक की समस्याएं आती है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस्केमिक स्ट्रोक या दिल के दौरे को रोकने के लिए चिकित्सकों या कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा रोगनिरोधी रूप से इकोस्प्रिन जैसे एंटीप्लेटलेट ड्रॉप्स के हाल के अत्यधिक नुस्खे के चलते भी स्ट्रोक की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 

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