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खट्टर ने कहा- किसान हमारे भाई हैं, दूसरी पार्टियों ने उन्हें उकसाया, अगर MSP पर आंच आई तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज कहा कि किसान हमारे भाई हैं। दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें...

खट्टर ने कहा- किसान हमारे भाई हैं, दूसरी पार्टियों ने उन्हें उकसाया, अगर MSP पर आंच आई तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा
गुरुग्राम। लाइव हिन्दुस्तान टीम Thu, 31 Dec 2020 07:46 PM
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केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज कहा कि किसान हमारे भाई हैं। दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें उकसाया है जिससे यह आंदोलन शुरू हुआ। अब केंद्र सरकार और किसानों के प्रतिनिधि इसका रास्ता निकाल रहे हैं। कुछ बातें कल मान ली गई हैं और बाकी बातों की चर्चा 4 जनवरी को होगी। इसका समाधान हो इसकी मैं आशा करता हूं। 

खट्टर ने कहा कि हम हरियाणा में एमएसपी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने भी एमएसपी व्यवस्था खत्म करने की कोशिश की तो मनोहर लाल खट्टर राजनीति छोड़ देगा।

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि किसान कल्याण प्राधिकरण को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है कि कौन सी फसल बोने से किसान को लाभ होगा, इसकी पूर्व योजना बनाने का काम किसान कल्याण प्राधिकरण करेगा।

जानकारी के अनुसार, नए कृषि कानूनों और एमएसपी की कानूनी गारंटी पर सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रहने के बाद हजारों किसान गुरुवार को भी दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं। हालांकि, सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई है।

गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 36वें दिन भी जारी है। इस साल सितंबर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी। सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी प्रणाली बनी रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है। 

हुड्डा ने दोहराई विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग

वहीं, हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग दोहराई ताकि कांग्रेस प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सके। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सीमाओं पर किसानों के 36 दिनों से चल रहे धरने में 42 किसानों की जान जा चुकी है और इस मुद्दे पर चर्चा जरूरी है।

हुड्डा ने कहा कि 7 दिसंबर को भी राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी, लेकिन राज्यपाल ने आज तक उस मांग को नहीं माना। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कांग्रेस विधायकों को मिलने से भी इंकार कर दिया, वह भी बिना कारण बताए।

उन्होंने कहा कि दो महीने में सरकार को दो बड़े झटके लग चुके हैं। बरोदा उपचुनाव के बाद गठबंधन को स्थानीय निकाय चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। निकाय चुनावों में सात में से भाजपा को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली है और उसकी सहयोगी जजपा पूरी तरह साफ हो गई है। 

सरकार जनता और विधायकों का विश्वास खो चुकी

हुड्डा ने आरोप लगाया कि कि हालात ऐसे हो चले हैं कि राज्यपाल अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करके सत्र नहीं बुला रहे हैं और गठबंधन सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से भाग रही है क्योंकि यह सरकार जनता और विधायकों का विश्वास खो चुकी है। उन्होंने कहा कि दो महीने में सरकार को दो बड़े झटके लग चुके हैं। बरोदा उपचुनाव के बाद गठबंधन को स्थानीय निकाय चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। निकाय चुनावों में सात में से भाजपा को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली हैं और उसकी सहयोगी जजपा पूरी तरह साफ हो गई है। हुड्डा ने कहा कि इन नतीजों से स्पष्ट है कि ग्रामीण मतदाताओं के बाद अब शहरी मतदाताओं ने भी भाजपा-जजपा को नकार दिया है।

बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।  

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