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दिल्ली-नोएडा के अस्पतालों में नहीं हो रहा गाजियाबाद के COVID-19 मरीजों का इलाज

कोरोना मरीजों का इलाज सीमा विवाद में उलझता दिख रहा है। गाजियाबाद जनपद के मरीजों को नोएडा-दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। बेड की कमी का हवाला देकर कहीं और ले जाने के लिए कह दिया...

दिल्ली-नोएडा के अस्पतालों में नहीं हो रहा गाजियाबाद के COVID-19 मरीजों का इलाज
गाजियाबाद | प्रद्युम्न कौशिकWed, 17 Jun 2020 11:47 AM
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कोरोना मरीजों का इलाज सीमा विवाद में उलझता दिख रहा है। गाजियाबाद जनपद के मरीजों को नोएडा-दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। बेड की कमी का हवाला देकर कहीं और ले जाने के लिए कह दिया जाता है, जिसके कारण इन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ रहा है। जनपद में कोरोना के अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए लेवल तीन का अस्पताल संतोष मेडिकल कॉलेज है। संतोष मेडिकल कॉलेज में बेड उपलब्ध नहीं होने पर अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली-नोएडा के अस्पताल विकल्प के रूप में आते हैं। दिल्ली-नोएडा के लेवल तीन अस्पतालों की दूरी जनपद से बेहद कम है, जिसके कारण डॉक्टर मरीजों को यहां रेफर कर देते हैं।

इन मरीजों को रेफर तो किया जाता है, लेकिन इन्हें भर्ती नहीं किया जाता। बेड खाली न होने का हवाला देकर इन्हें वापस कर दिया जाता है। इसके कारण इन्हें करीब 60 किलोमीटर दूर लेवल तीन के मेरठ मेडिकल कॉलेज ले जाने का ही विकल्प बचता है।

दिल्ली और गाजियाबाद के मरीज नोएडा में नहीं करा सकेंगे COVID-19 जांच

वेंटिलेटर पर रखे मरीज को भी नहीं किया था भर्ती : करीब 15 दिन पूर्व एक युवक को नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में तबीयत बिगड़ने पर भर्ती किया गया था। यहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद नोएडा स्वास्थ्य विभाग ने उसे अपने अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसे गाजियाबाद के संतोष मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था।

पांच मरीजों ने गंवाई जान : छह जून को खोड़ा निवासी गर्भवती महिला की एम्बुलेंस में मौत हो गई थी। महिला को नोएडा के आठ अस्पतालों ने भर्ती नहीं किया था। पांच जून को लोनी की युवती की भी इलाज न मिलने से मौत हुई।

25 अप्रैल को मोदीनगर निवासी लड़की की भी इलाज नहीं मिलने से मौत हो गई थी। तीन मई को मोदीनगर निवासी व्यक्ति की हार्टअटैक से मौत हुई। वहीं, 28 अप्रैल को मोदीनगर निवासी गर्भवती महिला की इलाज नहीं मिलने के चलते मौत हो गई थी।

मेरठ में अब तक 11 कोरोना मरीजों की मौत

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद में अब तक कोरोना से 22 मरीजों की मौत हुई है, जबकि अनौपचारिक रूप से यह आंकड़ा 50 से भी ज्यादा है। इसमें सबसे ज्यादा 11 मरीजों की मौत मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में हुई है। आठ मौत संतोष मेडिकल कॉलेज और एक मौत यशोदा हॉस्पिटल में हुई है। इसके अलावा एक-एक मौत दिल्ली-नोएडा के अस्पताल में हुई है।

डॉक्टर नहीं करते रेफर

कोरोना पीड़ित मरीजों को नोएडा-दिल्ली में लगातार भर्ती नहीं करने के कारण अब डॉक्टर भी इन्हें यहां रेफर नहीं करते हैं। अधिकांश मरीजों को मेरठ मेडिकल कॉलेज ही रेफर किया जाता है। नोएडा-दिल्ली जनपद के नजदीक होने के बावजूद डॉक्टरों को मजबूरन इन्हें करीब 60 किमी दूर मेरठ रेफर करना पड़ता है।

''गाजियाबाद से अति गंभीर मरीजों को ही नोएडा-दिल्ली रेफर किया जाता है, लेकिन वहां उन्हें एडमिट न करने से इन्हें मेरठ मेडिकल रेफर करना पड़ रहा है। अधिकांश बार बेड उपलब्ध न होना कारण बताया जाता है।'' -डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ, गाजियाबाद

नोएडा में भर्ती नहीं किया

शालीमार गार्डन निवासी 55 वर्षीय महिला की 26 मई को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद नोएडा ले जाया गया। कई अस्पतालों में भर्ती नहीं होने पर गाजियाबाद के ईएसआई अस्पताल में भर्ती किया गया।

गाजियाबाद का बता लौटाया

खोड़ा निवासी 32 वर्षीय युवक की 31 मई को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद नोएडा के एक अस्पताल ले जाया गया। वहां से मरीज को गाजियाबाद का बताकर लौटा दिया गया। इसके बाद उसे गाजियाबाद के नरेंद्र मोहन अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बेड नहीं होने का हवाला

झंडापुर निवासी गर्भवती महिला की तीन जून को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद दिल्ली ले जाया गया। बेड उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर उसे लौटा दिया गया, जिसके बाद उसे वापस एमएमजी अस्पताल में भर्ती किया गया।

मेरठ ले जाना पड़ा

कैलाभट्टा निवासी 67 वर्षीय बुजुर्ग की सात जून को तबीयत खराब होने पर नोएडा ले जाया गया। भर्ती नहीं किए जाने पर उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। यहां नौ जून को उनकी कोरोना से मौत हो गई। 

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