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Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Fortis hospital doctor to pay 65 lakh compensation to patient for negligence in treatment

मरीज का ऐसा इलाज की बात करने लायक भी नहीं... फोर्टिस और डॉक्टर को देना होगा 65 लाख मुआवजा; क्या है पूरा मामला?

फोर्टिस अस्पताल और एक डॉक्टर को मरीज के इलाज में लापवाही बरतने के आरोप में 65 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 10 Aug 2024 01:25 PM
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राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने दिल्ली के फोर्टिस  एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर और कार्डियक विभाग के प्रमुख को एक मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में 65 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मुआवजा उन्हें 62 साल के बुजुर्ग के परिवार को देना होगा।  इस बुजुर्ग शख्स को इलेक्टिव एंजियोप्लास्टी के बाद लकवा मार गया था। जस्टिस  राम सूरत राम मौर्य और तकनीकी सदस्य भरत कुमार पंड्या ने 7 अगस्त को दिए अपने फैसले में बुजुर्ग के परिवारवालों के उस दावे को बिल्कुल सही पाया कि बुजुर्ग की  एंजियोप्लास्टी  अनावश्यक रूप से की गई।ब

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक फैसले में कहा गया है कि यह साबित हो गया है कि कार्डियक डॉक्टर ने मरीज के फेफड़ों की स्थिति को नजरअंदाज करते हुए एंजियोप्लास्टी की जबकि ऐसा करना उस वक्त जरूरी नहीं था।   वे यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते कि मरीज और उसकी बेटी डॉक्टर थे और उन्होंने जोखिमों और लाभों को अच्छी तरह से जानते हुए अपनी सहमति दी थी। एनसीडीआरसी ने पाया है कि इस लापरवाही के चलते मरीज को ना सिफ्र ब्रेन इंजरी हुई बल्कि वह कुछ समय के लिए कोमा में भी चला गया। कोमा से बाहर आने के बाद उनका बायां हिस्सा पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया जिससे वह ना तो बोल पा रहे हैं और ना ही सुन पा रहे हैं। इसके अलावा वह लोगों को समझ भी नहीं पा रहे हैं। 

मरीज की पत्नी ने साल 2012 में इस सिलसिले में शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि डॉक्टर अशोक सेठ और उनकी टीम ने अनावश्यक रूप से उनके पति की एंजियोप्लास्टी की और इस दौरान उनकी ओर से लापवाही भी बरती गई। हालांकि अस्पताल ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि मरीज और उनकी बड़ी बेटी खुद डॉक्टर हैं और उन्हें  एंजियोप्लास्टी के जोखिमों, लाभों और परिणामों के बारे में पता था। 
अस्पताल ने प्रतिवाद किया कि मरीज और उसकी बड़ी बेटी स्वयं डॉक्टर थे और एंजियोप्लास्टी के जोखिमों, लाभों और परिणामों से अवगत थे। इसके साथ ही अस्पताल ने लापरवाही बरतने के आरोपों को भी खारिज किया। हालांकि फोरम ने शिकायतकर्ता के दावों को सही पाया और अस्पताल और डॉक्टर को 65 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया। 
 

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