अजय मिश्रा टेनी को ब्लैकमेल कर रंगदारी मांगने की कोशिश, दिल्ली पुलिस ने 5 लोगों को किया गिरफ्तार
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को ब्लैकमेल कर रंगदारी मांगने का मामला सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय मंत्री टेनी के बेटे आशीष मिश्रा...
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को ब्लैकमेल कर रंगदारी मांगने का मामला सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय मंत्री टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू समेत उसके 13 साथियों द्वारा लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (MoS Home Ajai Misra Teni) के स्टाफ से शिकायत मिली थी कि उन्हें पैसे के लिए फोन आए। इसके बाद नई दिल्ली जिले में एक एफईआर दर्ज की गई थी। घटना की जांच के बाद पुलिस ने रंगदारी के लिए कॉल करने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए लोगों में से 4 आरोपी नोएडा से और 1 आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने ब्लैकमेल करने वाले सभी 5 आरोपियों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर चार दिन की पुलिस रिमांड मांगी है।
Received a complaint from (MoS Home Ajai Misra Teni's) the staff that he received phone calls for money. An FIR was lodged in New Delhi district; 5 persons - 4 from Noida and 1 from Delhi have been arrested for making extortion calls: Delhi Police
— ANI (@ANI) December 24, 2021
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अब तक की छानबीन और साक्ष्यों के आधार पर दावा किया था कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे और उसके सहयोगियों द्वारा जानबूझकर, सुनियोजित साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया गया था। एसआईटी के मुख्य जांच निरीक्षक विद्याराम दिवाकर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में दिए गए आवेदन में आरोपियों के विरुद्ध उपरोक्त आरोपों की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और आशीष मिश्रा के पिता अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांग तेज होने लगी है। विपक्ष लगातार केंद्र से अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग कर रहा है।
लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांचकर्ता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाने), 338 (गंभीर चोट पहुंचाना), 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (जानबूझकर खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना), 34 (समान इरादों से कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कृत्य) से बदलने का अनुरोध किया है।
जांच अधिकारी दिवाकर ने सीजेएम को दिए गए आवेदन में उपरोक्त मुकदमे का संदर्भ देते हुए कहा था कि मुकदमा अपराध संख्या 219/21 में धारा 147, 148, 149, 279, 338, 304 ए, 302 और 120 बी के तहत आशीष मिश्रा समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसके तहत आरोपी आशीष मिश्रा समेत कुल 13 लोगों को उपरोक्त धाराओं में गिरफ्तार किया गया।
एसपीओ के मुताबिक जांच अधिकारी ने सीजेएम को भेजे गए आवेदन में कहा कि अब तक की विवेचना व संकलित साक्ष्यों से यह प्रमाणित हुआ है कि आरोपियों द्वारा आपराधिक कृत्य को लापरवाही से नहीं बल्कि जानबूझकर सुनियोजित साजिश के तहत जान से मारने की नीयत से किया गया, जिससे पांच लोगों की मृत्यु हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए।
जांच अधिकारी ने इस मामले में आईपीसी की धाराओं 279, 338 और 304 ए को हटा दिया और आईपीसी की धारा 307, 326, 34 और धारा 3/25/30 (शस्त्र अधिनियम) को जोड़ा है। एसआईटी ने इस मामले में आईपीसी की अन्य धाराएं 147, 148, 149, 302 और 120 बी को बरकरार रखा है। मुख्य जांच अधिकारी ने अदालत से 13 आरोपियों के वारंट में सुधार करने का आग्रह किया, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
क्या है लखीमपुर खीरी हिंसा मामला?
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया इलाके में तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा का किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसान, एक पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ता और एक चालक की मौत हो गई थी। इस संबंध में दो एफआईआर तिकुनिया थाने में दर्ज की गई थीं।
पहली एफआईआर एक किसान जगजीत सिंह ने चार किसानों और एक पत्रकार की मौत के मामले में दर्ज कराई थी जिसमें उसने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष और 15 से 20 अन्य को आरोपी बनाया था। वहीं, दूसरी एफआईआर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता सुमित जायसवाल द्वारा भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की मौत के मामले में दर्ज कराई गई थी, जिसमें उन्होंने अज्ञात बदमाशों को आरोपी बनाया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने दोनों मामलों की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का पुनर्गठन किया।