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बवाना में आगः रूपकिशोर बोला- इतनी भयानक आग थी, चौथी मंजिल से छलांग लगाकर बचाई जान

‘रोज की तरह ही मैं फैक्ट्री पहुंचा था और साथियों के साथ काम कर रहा था। शाम के समय अचानक धुआं दिखा तो पता चला कि आग लग गई है। पटाखों की आवाज आने लगी। कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूं। बाहर निकलने...

बवाना में आगः रूपकिशोर बोला- इतनी भयानक आग थी, चौथी मंजिल से छलांग लगाकर बचाई जान
नई दिल्ली, कृष्ण कुमार Sun, 21 Jan 2018 11:22 AM
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‘रोज की तरह ही मैं फैक्ट्री पहुंचा था और साथियों के साथ काम कर रहा था। शाम के समय अचानक धुआं दिखा तो पता चला कि आग लग गई है। पटाखों की आवाज आने लगी। कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूं। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था तो मैं ऊपर की तरफ भागा और वहां से नीचे छलांग लगा दी। अभी भी मेरे साथी वहां फंसे हुए हैं। पता नहीं आग में क्या हुआ होगा।’ 

 

यह आप बीती है बवाना की पटाखा फैक्ट्री की आग से बचकर निकले एकमात्र घायल रूपकिशोर की। 25 वर्षीय रूपकिशोर ने यह जानकारी उसका उपचार कर रहे डॉक्टरों के सामने दी। उसे घायल अवस्था में देर शाम महर्षि वाल्मीकि अस्पताल लाया गया था। जब फैक्ट्री में आग लगी तो उसके सामने कई लोग ऐसे थे जोकि आग से घिरे हुए थे। ऐसे में उसे अपने बचने की उम्मीद नहीं थी। किसी तरह वह फैक्ट्री के ऊपर की तरफ गया। नीचे की मंजिलों पर आग धीरे-धीरे फैल रही थी। उसने आग को देखते हुए छलांग लगा दी। 

महर्षि वाल्मीकी के डॉक्टर ने बताया कि यह काफी हैरानी की बात है कि वहां से कूदने के बाद भी उसके सिर में कोई चोट नहीं आई। उसके पैर की दो हड्डियां (टिकिया और फिबुला) ही टूटी। रूपकिशोर ने बताया कि आग की लपटों में घिरा होने पर उसने अपने आसपास कई लोगों को जलता हुआ भी देखा, ऐसे में उसने वहां से कूदने का फैसला लिया। महर्षि वाल्मीकि अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया 6 बजे तक अस्पताल में जो चार लोग आए थे, उनकी मौत हो चुकी थी। 
जब रूपकिशोर से उन्होंने बातचीत शुरू की तो वह बहुत डरा हुआ था। उसने डॉक्टरों को बताया कि इस इमारत में बहुत से लोग आग से घिरे हुए थे। वह पहले सीढ़ी से जाना चाहता था। लेकिन जब उसे कोई रास्ता नजर नहीं आया तो वह कूद गया। 

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पटाखे की फैक्ट्री थी 
मौके पर पहुंचे 25 साल के रूपकिशोर ने डॉक्टरों को बताया कि वह प्लास्टिक की नहीं , बल्कि पटाखे बनाने की फैक्ट्री में काम कर रहा था। वह खुद यहां पटाखे बनाता है। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि जब फैक्ट्री प्लास्टिक बनाने की थी, तो फैक्ट्री में पटाखे कैसे बन रहे थे। पुलिस की नाक के नीचे यह फैक्ट्री कैसे चल रही थी, यह बात भी काफी अहम है।


 

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