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सर्दी से बचने का ये उपाय बना जानलेवा, दंपति और मासूम बेटी की मौत

ग्रेटर फरीदाबाद के वजीरपुर गांव में सर्दी से बचने के लिए कमरे के अंदर अंगीठी जलाकर सोए एक दंपति और उनकी करीब नौ वर्षीय इकलौती बेटी की मौत हो गई। मंगलवार सुबह करीब 8:30 बजे परिजनों को परिवार के तीन...

सर्दी से बचने का ये उपाय बना जानलेवा, दंपति और मासूम बेटी की मौत
फरीदाबाद। वरिष्ठ संवाददाता Wed, 01 Jan 2020 07:09 PM
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ग्रेटर फरीदाबाद के वजीरपुर गांव में सर्दी से बचने के लिए कमरे के अंदर अंगीठी जलाकर सोए एक दंपति और उनकी करीब नौ वर्षीय इकलौती बेटी की मौत हो गई। मंगलवार सुबह करीब 8:30 बजे परिजनों को परिवार के तीन सदस्यों की मौत होने के बारे में पता चला। माना जा रहा है अंगीठी से निकली कार्बन मोनोक्साइड से दम घुटने की वजह से परिवार के तीनों सदस्यों की मौत हुई है। 

वजीरपुर गांव निवासी 32 वर्षीय गजेंद्र उर्फ गज्जी पड़ोसी गांव मवई स्थित एक गैस एजेंसी की गाड़ी चलाता था। सोमवार रात को वह अपनी पत्नी करीब 30 वर्षीय पायल और करीब नौ वर्षीय बेटी दीपांशी उर्फ किट्टू के साथ कमरे के अंदर चारपाई पर सो गया था। सोमवार को ज्यादा सर्दी होने के कारण दंपति ने अंगीठी (लोहे का तसला) में लकड़ी और गोबर के उपले जलाकर आग जला ली थी। परिवार के तीनों सदस्य कमरे के अंदर एक ही चारपाई पर लेट गए थे। लेटने से पहले उन्होंने अंगीठी को चारपाई के किनारे पर रख लिया था। वहीं कमरे की कुंदी को भी अंदर से बंद कर लिया था। 

रोशनदान तोड़कर खोला दरवाजा
चचेरे भाई दीपक ने दरवाजे के ऊपर वाले रोशनदान को तोड़कर कमरे के अंदर से कुंदी खोल दी। दरवाजा खुलने पर कमरे से धुआं बाहर निकला। धुआं निकलने पर परिजनों ने देखा कि रजाई और चारपाई का आधा हिस्सा जला हुआ है। वहीं गजेंद्र और उसकी पत्नी का शव फर्श पर टिके हुआ था। गजेंद्र का शव ज्यादा जला हुआ था। जबकि पत्नी की शव कम चला था। कमरे के अंदर का ह्रदयविदारक दृश्य देखकर परिवार और पड़ोसियों की चीख निकल गई। परिवार की महिलाओं के जोर-जोर से विलाप करने  की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग इकट्ठे हो गए। कुछ ही देर में यह खबर पूरे गांव में फैल गई। 

सुबह 8:30 तक न उठने पर दरवाजा खटखटाया
गजेंद्र मंगलवार सुबह वह करीब 8:30 बजे तक भी कमरे से बाहर नहीं आया। इस पर घर के प्रथम तल पर रहने वाले उसके बड़े भाई रविंद्र ने अपने भाई को आवाज देकर उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खटखटाने पर भी अंदर से कोई जवाब नहीं आया तो उनके मन में तरह-तरह की आशंकाएं आने लगीं। उन्होंने अपने चचेरे भाई दीपक, पड़ोसी रिंकू आदि को बुला लिया। मां वीरवती और उनकी पत्नी बबली भी कमरे के बाहर खड़े होकर उन्हें पुकारने लगीं। 

पोस्टमार्टम न कराने की जिद करते रहे मायके वाले
मृतक गजेंद्र और उनका बड़ा रविंद्र गौतमबुद्ध नगर के जलालपुर गांव निवासी पायल और बबली से शादी हुई थी। पायल और बबली दोनों बहन हैं। दोनों दंपतियों को शादी के बाद एक-एक बेटी से हुई थी। बेटी-दामाद और नाती की मौत होने का पता चलने पर मायके वाले भी वजीरपुर गांव पहुंच गए। यहां वे पुलिस से पोस्टमार्टम करवाने से इंकार करने लगे। एसएचओ ने कहा कि एसडीएम के आदेश के बाद ही वह पोस्टमार्टम की कार्रवाई रोक सकते हैं। बाद में समझाने पर मायके वाले राजी हो गए। 

''लकड़ी या कोई अन्य ईंधन जलाने से कार्बन मोनोक्साइड पैदा होती है। कमरा बंद है तो यह सांस के जरिए फेफड़ों में चली जाती है। इसके बाद सांस लेने के सभी अंग काम करना बंद कर देते हैं। खून में हीमोग्लोबिन का स्तर घटने के साथ बहाव रुक जाता है। फिर दिमाग भी काम करना बंद कर देता है। इस वजह से सोते हुए व्यक्ति की मौत हो जाती है।'' -डॉ.स्वाति कसाना

रोशनदान में लगा था गत्ता
पड़ोसी रिंकू ने बताया कि रोशन की जाली से बाहर से कमरे में ऑक्सीजन जा सकती थी। मगर, रोशनदान पर गत्ता लगा हुआ था। गत्ता लगा होने के कारण न तो बाहर से कमरे के अंदर हवा गई और न ही अंदर का धुआं बाहर आ सका। 

''कार्बन मोनोक्साइड की वजह से परिवार के तीन सदस्यों की मौत हुई है। पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद कारण बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा।'' -लोकेंद्र सिंह, डीसीपी सेंट्रल 

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