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विदेशियों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर से जुड़े 7 लोग गिरफ्तार, खुद को बता थे अमेजन टेक्निकल सपोर्ट टीम के सदस्य

दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए खुद को अमेजन की टेक्निकल सपोर्ट टीम के सदस्य बताकर विदेशी नागरिकों को कथित तौर पर ठगने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया है।...

विदेशियों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर से जुड़े 7 लोग गिरफ्तार, खुद को बता थे अमेजन टेक्निकल सपोर्ट टीम के सदस्य
नई दिल्ली। भाषाFri, 18 Jun 2021 05:50 PM
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दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए खुद को अमेजन की टेक्निकल सपोर्ट टीम के सदस्य बताकर विदेशी नागरिकों को कथित तौर पर ठगने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान गौरव (24), अमित आनंद (46), अजनीश राणा (37), आर्यन सक्सेना (21), योगेश प्रसाद (28), नवीन कुमार (22) और अमनप्रीत कौर (24) के रूप में की गई है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये आरोपी पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन फ्रॉड गैंग चला रहे थे और वह लोगों को ठगने के लिए अवैध तकनीकों और वीओआईपी कॉलिंग का इस्तेमाल करते थे। वे खुद को अमेजन की टेक्निकल सपोर्ट टीम के अधिकारी बताकर अमेरिका में लोगों को ठगते थे। 

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पुलिस गुरुवार को गणेश नगर पहुंची जहां सात लोग अमेजन की टेक्निकल सपोर्ट टीम के अधिकारी बताकर कॉल करते हुए पाए गए। पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) उर्विजा गोयल ने कहा कि धोखाधड़ी में तीन मालिक- गौरव, आनंद और राणा तथा चार टेली कॉलर- आर्यन सक्सेना, योगेश प्रसाद, नवीन कुमार और अमनप्रीत कौर शामिल पाए गए।

पहले से करते थे धमकी भरा कॉल  

डीसीपी ने बताया कि आरोपियों ने यह खुलासा किया कि वे वीओआईपी कॉल के जरिए खुद को अमेजन की टेक्निकल सपोर्ट टीम के अधिकारी बताकर विदेशी नागरिकों को फोन करते थे। विदेशी नागरिक को अमेजन से पहले से रिकॉर्ड एक धमकी भरा कॉल किया जाता था। पीड़ितों को बताया जाता था कि उनके अमेजन खाते में संदिग्ध लेन-देन हुआ है।

पुलिस ने बताया कि बाद में वे पीड़ितों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उनसे संपर्क करने के लिए मना लेते थे, जबकि असल में कोई समस्या होती ही नहीं थी। इसके जरिये आरोपी पीड़ितों के कम्प्यूटर या मोबाइल फोन तक पहुंच बना लेते थे।

पुलिस ने बताया कि जब पीड़ितों से वित्तीय धोखाधड़ी कर कॉल ब्लॉक कर दी जाती थी, चूंकि आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए नंबर नकली वीओआईपी नंबर होते थे तो शिकायतकर्ता न उन्हें वापस फोन कर पाते और न ही उन नंबरों का पता लगा पाते थे।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने अवैध तकनीक, वीओआईपी कॉलिंग और कॉलर आईडी की नकल करके अमेरिकी निवासियों की जानकारियां ली थी। ऐसा अंदेशा है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की ठगी की है। 

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