दिल्ली के बीकानेर हाउस में चित्रों की प्रदर्शनी, दिखेगी सृष्टि और प्रकृति के विविध स्वरूपों की झलक
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीकानेर हाउस में इन दिनों चित्रों की प्रदर्शनी लगी हुई है। इसमें प्रदर्शित किए गए चित्र प्रकृति के विविध स्वरूपों और भारतीय परंपराओं की झलक पेश करते हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीकानेर हाउस में इन दिनों कलाकार निशा जायसवाल के चित्रों की प्रदर्शनी कला समीक्षकों द्वारा सराही जा रही है। राम दरबार, महिसासुर मर्दिनी समेत कई अन्य शीर्षक से यहां लगाए गए चित्र बरबस लोगों को आकर्षित कर लेते हैं। प्रदर्शनी का उद्घाटन कला समीक्षक डॉ. ज्योतिष जोशी ने किया। कला समीक्षक डॉ. ज्योतिष जोशी ने कहा कि इन चित्रों में कला की भारतीय परंपरा दिखाई देती है। इनका हर काम भारतीय परंपरा की संस्कृति, नामरूपों, पर्व त्यौहारों, मान्यताओं से संबद्ध है।
इने चित्रों के शीर्षक अभिसार, राधाकृष्ण, मदनोत्सव या जितने भी काम हैं सबका पारंपरिक महत्व है। मुख्यधारा की कला में भारतीय परंपरा नहीं हैं। मुख्यधारा की कला में ऐसे चित्र हैं जिसे हम समझ नहीं सकते हैं। लेकिन निशा के चित्रों में भारतीय परंपरा परिलक्षित होती है। इसमें राम दरबार है, महिसासुर मर्दिनी हैं। इन चित्रों को बनाने में इन्हें वर्षों लगे हैं। इसमें भाव, संवेदना, करुणा का चित्रण है। इन चित्रों में भाव, संवेदना, करुणा परिलक्षित होती है। हमें इस तरह की कला शैलियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
कला समीक्षक डॉ. ज्योतिष जोशी ने कहा- इन चित्रों को दक्षिण भारत में खासी प्रशंसा मिलेगी। इन चित्रों की शैली और तंजौर शैली में बहुत अंतर नहीं है। निशा जायसवाल दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका रही हैं। राजधानी सहित अन्य शहरों में इनके चित्रों का प्रदर्शन हुआ है। यह प्रदर्शनी 16 सितंबर तक रहेगी।
प्रसिद्ध कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल का कहना है कि निशा के चित्र पौराणिक पात्रों और देव-देवियों को लेकर हैं। चित्रों में देव-देवियों के वाहनों को भी स्वाभाविक रूप से प्रमुखता मिली है। हमारे देव-देवियों की सवारियां पशु-पक्षी जगत की रही हैं। दैवीय रूपों की कल्पना भी मानवीय आकृतियों और पशु-पक्षी जगत से जोड़कर की गई हैं। ये कलाकृतियां हमारा ध्यान पर्यावरण और सृष्टि के स्वरूप की ओर खींचती हैं। निशा के चित्रों की बुनावट दैविक रूपों का उत्सव मनाती है।
