दिल्ली में सर्दी में भी ‘अर्बन हीट आईलैंड’ का प्रभाव, रिज से पांच डिग्री ज्यादा गर्म घने इलाके, ये हैं मुख्य कारण
जून में दिखा था दस डिग्री से ज्यादा का अंतर अर्बन हीट आईलैंड प्रभाव का असर इस साल गर्मियों में भी देखने को मिला था। जब शहर में ही लगभग 18 किलोमीटर की दूरी में न्यूनतम तापमान में दस डिग्री अंतर था।

दिल्ली में ‘अर्बन हीट आईलैंड’ का प्रभाव देखा जा रहा है। पीतमपुरा और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स जैसे घने बसे इलाके की तुलना में दिल्ली के रिज क्षेत्र में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री कम रिकॉर्ड किया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके पीछे शहरीकरण और प्रदूषण के स्तर में अंतर मुख्य वजह हैं।
यूं तो दिल्ली का पूरा हिस्सा शहरी क्षेत्र है, लेकिन इसके बीच-बीच ऐसे हिस्से भी हैं, जहां वन क्षेत्र के टुकड़े मौजूद हैं। जबकि, शहर की परिधि पर ग्रामीण क्षेत्र भी मौजूद हैं। इन दोनों ही क्षेत्रों में तापमान के अंतर को स्पष्ट तौर पर दर्ज किया जा रहा है। सोमवार को भी रिज क्षेत्र का न्यूनतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि आयानगर का न्यूनतम तापमान 15.4 डिग्री सेल्सियस रहा। इसकी तुलना में पीतमपुरा और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का न्यूनतम तापमान लगभग पांच डिग्री ज्यादा रहा।
इन दोनों ही निगरानी केन्द्रों पर न्यूनतम तापमान 19.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम निगरानी संस्था स्काईमेट के मौसम विज्ञानी महेश पालावत ने बताया कि एक ही शहर में हरियाली और बसावट के चलते इस तरह के अंतर देखने को मिलते हैं।
जून में दिखा था दस डिग्री से ज्यादा का अंतर अर्बन हीट आईलैंड प्रभाव का असर इस साल गर्मियों में भी देखने को मिला था। जब शहर में ही लगभग 18 किलोमीटर की दूरी में न्यूनतम तापमान में दस डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का अंतर रिकॉर्ड किया गया था। इस वर्ष पांच जून को पीतमपुरा का न्यूनतम तापमान 33.4 डिग्री सेल्सियस रहा था।
राजधानी के 17 इलाकों की हवा हुई बेहद खराब
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। राजधानी दिल्ली के सत्रह इलाकों की हवा सोमवार को गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 अंक के पार है। जबकि, समग्र तौर पर वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी के उच्च स्तर पर मौजूद है।
दिल्ली के लोग पिछले पांच दिनों से भीषण प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। इस दौरान हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा मानकों से लगभग तीन गुना तक ज्यादा बनी हुई है। दिल्ली की वातावरण पर प्रदूषण की मोटी परत देखने को मिल रही है। खासतौर पर सुबह और शाम समय प्रदूषण और धुंध छा रही है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, सोमवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 392 के अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को बेहद खराब श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि, यह गंभीर श्रेणी से सिर्फ नौ अंक ही नीचे हैं। जबकि, दिल्ली के 17 इलाकों की हवा सोमवार को गंभीर श्रेणी में रही। एक दिन पहले यानी रविवार को यह सूचकांक 357 अंक पर था। यानी चौबीस घंटे के भीतर ही इसमें 35 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
विशेषज्ञ बोले, प्रदूषण भी बड़ी वजह
विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र में वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ अविकल ने बताया कि अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट के चलते शहरी और ग्रामीण या वन क्षेत्र वाले हिस्से में तीन से पांच डिग्री तक का अंतर देखने को मिलता है। कंक्रीट के निर्माण के साथ-साथ प्रदूषण भी इसकी बड़ी वजह होती है, क्योंकि घने बसे इलाकों में वाहन ज्यादा चलते हैं तो प्रदूषण भी ज्यादा देर तक बना रहता है। इसके चलते ऐसे हिस्से अन्य क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा गर्म होते हैं।
अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट क्या है
शहर के ऐसे हिस्से जहां बसावट सघन होती है और कंक्रीट के निर्माण ज्यादा होते हैं, वहां गर्मी और प्रदूषक कण सतह पर ही फंसे (ट्रैप) रह जाते हैं। जबकि, हरे-भरे हिस्से में गर्मी और प्रदूषक कण तुलनात्मक तौर पर वातावरण में विलीन हो जाते हैं। इसके चलते इन दोनों क्षेत्रों के तापमान में अंतर देखने को मिलता है। इसे ही अर्बन हीट आईलैंड प्रभाव कहा जाता है।
