यमुना एक्सप्रेस-वे पर तेज गति में वाहन दौड़ाने से बाज नहीं रहे चालक
यमुना एक्सप्रेस-वे पर तेज गति में वाहन दौड़ने से चालक बाज नहीं आ रहे हैं। परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम ने इस बार तेज गति में दौड़ते 177 वाहनों के चालान किए हैं। चालान की जद में आए अधिकतर वाहनों की...

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यमुना एक्सप्रेस-वे पर तेज गति में वाहन दौड़ने से चालक बाज नहीं आ रहे हैं। परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम ने इस बार तेज गति में दौड़ते 177 वाहनों के चालान किए हैं। चालान की जद में आए अधिकतर वाहनों की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा से 140 किलोमीटर प्रति घंटा थी। पिछले माह 154 वाहनों के चालान हुए थे।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर हल्के वाहनों की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा और भारी वाहनों की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित है। सर्दियों में कोहरे के दौरान दुर्घटना की संभावना के चलते गति सीमा और कम कर दी जाती है। इससे तेज गति में वाहन दौड़ाने पर चालान किए जाते हैं। परिवहन विभाग को प्रत्येक माह कुछ दिनों के लिए इंटरसेप्टर मिलता है। निर्धारित दिवस में अलग-अलग परिवहन अधिकारी यमुना एक्सप्रेस-वे पर इंटरसेप्टर से वाहनों की गति की निगरानी करते हैं और तेज दौड़ते वाहनों के चालान किए जाते हैं।
एआरटीओ प्रवर्तन प्रशांत तिवारी ने बताया कि सितंबर में 177 वाहन चालकों के तेज गति में वाहन दौड़ाने के कारण चालान किए गए हैं। जुलाई में 186 चालकों के चालान हुए थे।
चालान की जद में आए अधिकतर वाहनों की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा से 140 किलोमीटर प्रति घंटा थी। वाहन चालकों के तीन माह के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड किए जाएंगे। जो वाहन अन्य जिलों और प्रदेश हैं, वहां के परिवहन विभाग को चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड करने की संस्तुति भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि मार्च में 158 चालकों के चालान किए गए थे। बीच में कोरोना काल में कुछ माह इंटरसेप्टर न मिलने के कारण चालान नहीं हुए थे।
गौतमबुद्ध नगर को पांच दिन के लिए मिलता है इंटरसेप्टर
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, पांच जिले गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और मेरठ में एक इंटरसेप्टर है। गौतमबुद्ध नगर को अधिकतम पांच दिन के लिए इंटरसेप्टर मिलता है। परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि हर जिले पर एक-एक इंटरसेप्टर होना चाहिए, ताकि महीने में कई दिन तक और औचक अभियान चलाया जा सके। परिवहन अधिकारी ने कहा कि इंटरसेप्टर से दिन में ही वाहनों की गति रिकॉर्ड करके चालान किए जाते हैं। रात में अभियान नहीं चलाया जाता है।
दो बार निलंबन के बाद डीएल निरस्त का है नियम
एआरटीओ प्रशासन एके पांडे ने बताया कि दो बार निलंबित होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने का नियम है। इसके बाद कभी भी डीएल नहीं बन सकता है और चालक से वाहन चलाने का अधिकारी छिन जाता है। जिले में अभी किसी का भी डीएल निरस्त नहीं हुआ है।
