न खाना और न पानी, चारों तरफ अंधेरा; रुद्रप्रयाग के जंगलों में फंसे दिल्ली के युवकों ने सुनाई खौफनाक कहानी
रुद्रप्रयाग के जंगलों में फंसे दिल्ली के युवकों को एसडीआरएफ ने रेस्क्यू कर लिया। जगंह से बाहर निकलने के बाद उन्होंने त्रिजुगीनारायण के जंगलों में बिताई रात की खौफनाक कहानी सुनाई।
न खाना, न पानी, दूर तक घने जंगल और घुप्प अंधेरा। हर वक्त डर कि कहीं कोई जंगली जानवर आकर न हमला कर दे। दिल्ली के अंकित और महेश के लिए त्रिजुगीनारायण के जंगलों में बिताई रात जीवन की सबसे भयावह याद के रूप में दर्ज हो गई है। देवदूत बनकर आए एसडीआरफ के जवानों ने जब उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला तो जाकर उनकी जान में जान आई।
केदारनाथ की यात्रा पर आए दिल्ली के सरिता विहार निवासी महेश और सुनील 31 जुलाई की रात आई आपदा के दौरान गौरीकुंड में फंस गए थे। चारों तरफ भय का माहौल देखकर दोनों की एक इच्छा थी कि बस किसी तरह यहां से बाहर निकल जाएं। गौरीकुंड में स्थानीय लोगों के कहने पर ये दोनों तीन अगस्त की सुबह गौरीकुंड-त्रिजुगीनारायण तोशी मार्ग पर चल दिए। उनके साथ करीब 11 और लोग भी थे। दोनों युवाओं ने अपनी जो कहानी बताई वो रोंगटे खड़े कर देती है।
उन्होंने बताया कि भूख, प्यास और थकान की वजह से आगे बढ़ा भी नहीं जाया जा रहा था। कुछ देर एक पत्थर पर टेक लगाकर बैठे तो बैठे ही रह गए। इसी बीच उनके साथ चल रहे बाकी नौ लोग आगे निकल गए। अपने साथियों से बिछड़ने के बाद हालत और भी खराब हो गई। वे दोनों रास्ता भटक गए। महेश और सुनील ने कहा कि जैसे ही शाम होने लगी धीरे-धीरे अंधेरा पसरने लगा। चारों तरफ बियावान जंगल और मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं था। पूरी रात जंगल में गुजारी। मोबाइल नेटवर्क से जुड़ने के लिए सुबह होने पर हिम्मत कर ऊंचे स्थान पर पहुंचे। मोबाइल के नेटवर्क में आने पर तत्काल पुलिस को फोन किया और फंसे होने की सूचना दी। यह क्षेत्र त्रिजुगीनारायण के ऊपर करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर था।
पुष्कर सिंह धामी बोले, रेस्क्यू की खुद मॉनीटरिंग कर रहा हूं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि केदारनाथ में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने के अभियान की वे खुद मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
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