दिल्ली हिंसा : तिहाड़ में शाहरुख पठान को लग रहा डर, कोर्ट से की हाई-रिस्क जेल में ही रखे जाने की अपील
दिल्ली हिंसा के दौरान 24 फरवरी को कथित तौर पर पुलिस कर्मी पर पिस्तौल तानने वाले शाहरुख पठान ने शनिवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर अपनी जान को खतरा बताते हुए उसे सामान्य कैदियों...
दिल्ली हिंसा के दौरान 24 फरवरी को कथित तौर पर पुलिस कर्मी पर पिस्तौल तानने वाले शाहरुख पठान ने शनिवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर अपनी जान को खतरा बताते हुए उसे सामान्य कैदियों के साथ नहीं रखे जाने की अपील की है। यह याचिका सोमवार को कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है। शाहरुख पठान ने अपनी याचिका में कहा है कि ऐसी आशंकाएं हैं कि अगर किसी सामान्य कैदी के साथ उसे रखा जाता है तो उसके साथ हर तरह की अप्रिय घटना हो सकती है। शाहरुख पठान वर्तमान में दिल्ली की तिहाड़ नंबर 4 की हाई रिस्क जेल नंबर 4 में बंद है।
याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों द्वारा आरोपी को मौखिक रूप से सूचित किया गया है कि उसे उच्च जोखिम वाले कैदियों के जेल से दूसरे सामान्य कैदियों के साथ स्थानांतरित किया जाएगा।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, शाहरुख पठान ने वकील असगर खान, अब्दुल ताहिर खान और तारिक नासिर के माध्यम से कड़कड़डूमा कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि वह उच्च जोखिम वाले कैदियों के साथ ही रहना चाहता है, क्योंकि उसके जीवन को खतरा है। याचिका में कहा गया है कि आरोपी ने 23 जुलाई, 2020 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अपने वकील से इस आशंका को व्यक्त किया था।
हाल ही में, शाहरुख पठान की जमानत याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई साम्प्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में शाहरुख पठान के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने पहले ही कड़कड़डूमा अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है।
पुलिस के अनुसार, फरवरी में हुई घटना के बाद वह शुरू में पंजाब और उत्तर प्रदेश के शामली में भागने से पहले दिल्ली में ही घूमता रहा, जहां से उसे बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच के दौरान, शाहरुख पठान ने खुलासा किया कि वह जिस कार का इस्तेमाल करता है वह उसके चाचा के बेटे की थी और उसने कार को हरियाणा के एक गैरेज में छोड़ दिया था।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।
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