दिल्ली में क्लासरूम निर्माण में 1300 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश, DoV ने की जांच की सिफारिश
दिल्ली के डीओवी ने राजधानी में 193 सरकारी स्कूलों में 2,405 क्लास रूम्स के निर्माण में केजरीवाल सरकार द्वारा 'गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार' की विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच की सिफारिश की है।

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दिल्ली में केजरीवाल सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय (डीओवी) ने राजधानी में 193 सरकारी स्कूलों में 2,405 क्लासरूम्स के निर्माण में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा 'गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार' की विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच की सिफारिश की है।
डीओवी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने इस मामले में मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सतर्कता विभाग ने शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारियों को तय करने की भी सिफारिश की है, जो लगभग 1300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल थे।
डीओवी ने अपने निष्कर्षों को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और शिक्षा विभाग के जवाबों के साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को विचारार्थ भेजने की भी सिफारिश की है। इसके साथ ही ने शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी सिफारिश की है, जो करीब 1,300 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में शामिल थे।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 2,400 से अधिक क्लासरूम्स के निर्माण में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की गंभीर अनियमितताओं को रेखांकित किया था। सीवीसी ने फरवरी 2020 में रिपोर्ट दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को भेजकर इस पर उसकी राय भी मांगी थी, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने ढाई साल तक मामले को आगे नहीं बढ़ाया, जब तक कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश नहीं दिया। एलजी ने मुख्य सचिव को इस साल अगस्त में हुई देरी की जांच करने और इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि, अप्रैल, 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का निर्देश दिया था। लोक निर्माण विभाग को 193 विद्यालयों में 2405 क्लासरूम बनाने का कार्य सौंपा गया था। इसने क्लासरूम की आवश्यकता का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया और सर्वे के आधार पर, 194 स्कूलों में 7180 समतुल्य कक्षाओं (ईसीआर) की कुल आवश्यकता का अनुमान लगाया, जो 2405 कक्षाओं की आवश्यकता का लगभग तीन गुना है।
