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दिल्ली : वेतन नहीं मिलने से किराया, राशन और फीस के लिए कर्ज ले रहे शिक्षक

दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध 12 कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षकों ने रविवार को कॉलेजों में वेतन संकट आदि को लेकर वार्ता की। शिक्षकों ने कहा कि किसी कॉलेज में चार...

दिल्ली : वेतन नहीं मिलने से किराया, राशन और फीस के लिए कर्ज ले रहे शिक्षक
प्रमुख संवाददाता, नई दिल्लीMon, 08 Mar 2021 08:12 AM
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दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध 12 कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षकों ने रविवार को कॉलेजों में वेतन संकट आदि को लेकर वार्ता की। शिक्षकों ने कहा कि किसी कॉलेज में चार तो किसी कॉलेज में पांच महीने से वेतन, मेडिकल बिल सहित अन्य मदों के पैसे नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को मकान का किराया, लोन, राशन के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। यही नहीं बच्चों की फीस भी लोन लेकर देनी पड़ रही है।

महाराजा अग्रसेन कॉलेज के स्टाफ एसोसिएशन के पदाधिकारी सुबोध कुमार ने कहा कि कॉलेजों को दिसंबर 2020 के बाद कोई अनुदान नहीं मिलने से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को दिसंबर 2020 के बाद वेतन नहीं मिला है। इस लिए दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित उक्त 12 कॉलेजों में हम अविलंब धनराशि जारी करने की मांग करते हैं।

सुबोध कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार के 100 फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में वेतन रोकने का यह मामला वैधानिक और नैतिक मानदंडों का उल्लंघन है। इन सम्मानित संस्थानों की शैक्षणिक पारिस्थितिकी पर इस तरह की अनियमितता बहुत भारी और विपरीत असर डालती है। हजारों संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगाई गई है, जिसकी वजह से चिकित्सा बिल, छात्रवृत्ति, टेलीफोन और बिजली बिल जमा नही हो सके हैं और कष्ट निरंतर बढ़ रहा है।

अंबेडकर कॉलेज के शिक्षक सुजीत कुमार ने कहा कि सरकारी फंडिंग को एक या अन्य किसी मामले से जोड़कर टालने से (जैसे गवर्निंग बॉडी फॉर्मेशन, छात्रों की फीस, प्रोबिटी आदि) इन कॉलेजों के कामकाज पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। छात्रों के फीस को सरकारी वित्तीय अनुदान से किसी भी प्रकार से जोड़ना निजीकरण को बढावा देना है और यह भारत में सामाजिक न्याय आधारित उच्च शिक्षा के विचार के खिलाफ है।

शिक्षकों ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली सरकार द्वारा अपने अधीन करने का भी हम कड़ा विरोध करते हैं और एक शताब्दी से अधिक पुरानी हमारी इस यूनिवर्सिटी को खत्म करने के किसी भी प्रयास का हम इसी तरह पुरजोर विरोध करेंगे।

डूटा को भी कई बार लिख चुके पत्र
शिक्षकों ने कहा कि बार बार शिक्षक संघ, शिक्षक और कर्मचारी भी इसको लेकर विरोध जता चुके हैं, लेकिन सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि डूटा को भी कई बार पत्र लिख चुके हैं। सोमवार को 12 कॉलेजों के शिक्षक एक बार फिर डीयू के शिक्षक संगठन अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे। आक्रोशित शिक्षकों ने कहा कि हमें वेतन नहीं मिला तो हम पूरी तरह काम काज ठप करने पर भी विचार कर रहे हैं।

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