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दिल्ली : एम्स में छह महीने से रूटीन सर्जरी बंद, मरीज हो रहे परेशान

राजधानी दिल्ली के एम्स में लगभग पिछले छह महीने रूटीन सर्जरी बंद पड़ी हैं। फिलहाल इमरजेंसी सर्जरी ही कि जा रही हैं। अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए अभी भी भटकना पड़ रहा है। दिल्ली में...

दिल्ली : एम्स में छह महीने से रूटीन सर्जरी बंद, मरीज हो रहे परेशान
वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्लीTue, 22 Sep 2020 07:43 AM
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राजधानी दिल्ली के एम्स में लगभग पिछले छह महीने रूटीन सर्जरी बंद पड़ी हैं। फिलहाल इमरजेंसी सर्जरी ही कि जा रही हैं। अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए अभी भी भटकना पड़ रहा है। दिल्ली में कोरोना के अलावा कैंसर और दिल जैसी गम्भीर बीमारियों के मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

गाजियाबाद की रहने वाली दीपिका को न्यूरो की गम्भीर बीमारी है। 17 फरवरी 2019 को उन्होंने एम्स में दिखाया था तो डॉक्टरों ने उन्हें न्यूरो सर्जरी के लिए कहा था। उन्हें सर्जरी के लिए जुलाई का समय दिया था लेकिन कोरोना की वजह से सर्जरी नहीं हो सकी। अब वे बेहद गम्भीर रूप से बीमार हो गयी हैं। पिछले महीने उन्हें ओपीडी में बुलाया गया और कहा गया कि जल्द सर्जरी करेंगे लेकिन अब कोरोना के मामले फिर से बढ़ने से समय बढ़ा दिया गया। अब वे दूसरे अस्पतालों में ओपीडी में दिखाना चाहती हैं। न्यूरोसर्जरी की व्यवस्था एम्स के अलावा आरएमल, सफदरजंग और जीबी पंत में ही उपलब्ध है। ऐसे में उन्हें कहीं भी ओपीडी के लिए समय नहीं मिल रहा।

नेफ्रोलॉजी की रूटीन सर्जरी और दाखिले 28 सितंबर तक टले
एम्स के किडनी रोग के विभाग नेफ्रोलॉजी में 28 सितंबर तक रूटीन सर्जरी और ओपीडी के जरिए दाखिले करने बंद कर दिए हैं। अस्पताल सितंबर में फिर से किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने वाला था लेकिन अब सामान्य मरीजों के दाखिले बन्द होने पर किडनी प्रत्यारोपण में अभी दो महीने का समय लग सकता है।दिल्ली के रोहिणी निवासी प्रशांत पिछले एक साल से किडनी के रोग से पीड़ित हैं। उन्हें ओपीडी बुलाकर पहले सर्जरी के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया लेकिन अब फिर से प्रत्यारोपण टाल दिए गए।

कोरोना के इलाज में जुटे 50 फीसदी रेजिडेंट डॉक्टर
एम्स में एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि मुख्य विभागों जैसे मेडिसिन, कार्डियो, नेफ्रोलॉजी और कैंसर विभाग के 50 फीसदी डॉक्टर कोरोना के इलाज में लिए गए हैं। कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल में कॉमन पूल बनाया गया है। इसी पूल में हर विभाग से 50 फीसदी रेजिडेंट डॉक्टरों को लिया गया है।

700 छोटी-बड़ी सर्जरी हर रोज होती थी
एम्स में कोरोना काल से पहले 700 से 750 छोटी बड़ी सर्जरी हर रोज होती थीं। हालांकि अब सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन हो रहे हैं। ऐसे में न्यूरो, कैंसर जैसे विभागों में सर्जरी के लिए समय मिलने के लिए जहां लोगों को तीन से पांच साल का समय लग रहा था अब यह बढ़ सकता है।

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