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दिल्ली दंगों में 85 वर्षीय महिला अकबरी बेगम की हत्या मामले में 4 लोगों की जमानत याचिका खारिज

दिल्ली की एक अदालत ने 85 वर्षीय एक महिला की कथित हत्या के मामले में चार लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। महिला की फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान उनके घर में आग लगा...

दिल्ली दंगों में 85 वर्षीय महिला अकबरी बेगम की हत्या मामले में 4 लोगों की जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली। एजेंसीSat, 08 Aug 2020 03:45 PM
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दिल्ली की एक अदालत ने 85 वर्षीय एक महिला की कथित हत्या के मामले में चार लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। महिला की फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान उनके घर में आग लगा दिए जाने के कारण मौत हो गई थी। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने अकबरी बेगम की मौत मामले में अरुण कुमार, रवि कुमार, प्रकाश चंद और सूरज सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि सभी चार आरोपी गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा थे जिसने डकैती करने के बाद शिकायतकर्ता के घर में आग लगा दी थी। न्यायाधीश ने छह अगस्त को यह आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि वीडियोग्राफी विवरण से स्पष्ट है कि दंगाई भीड़ ने अकबरी बेगम के घर को निशाना बनाया था। अदालत ने आगे कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता (मोहम्मद सईद सलमानी) और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा घर में कपड़ा फैक्ट्री चलाई जा रही थी, इसलिए घर में बहुत सारी ज्वलनशील सामग्री रखी हुई थी। इसके कारण घर में आग लग गई और बड़े पैमाने पर विनाश हुआ तथा अकबरी बेगम (शिकायतकर्ता की मां) की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गई। 

अदालत ने कहा कि अगर आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वे मामले में गवाहों को धमकी दे सकते हैं क्योंकि वे उसी इलाके के निवासी हैं। यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई और सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने कहा कि अरुण, रवि, प्रकाश चंद और सूरज सिंह को मामले में झूठा फंसाया गया है तथा उनके खिलाफ कोई कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत उपलब्ध नहीं हैं।

FIR दर्ज करने में हुई देरी के कारण आरोपी की जमानत मंजूर 

वहीं, दिल्ली दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में अदालत ने एक व्यक्ति की जमानत मंजूर की और कहा कि एफआईआर दर्ज करने में प्रत्यक्ष देरी हुई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने आरोपी रोहित को 20 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर राहत दी। 

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता आजाद सिंह ने एफआईआर में शुरुआत में तीन लोगों के नाम दिए थे, लेकिन बाद में वह बयान से मुकर गया था। न्यायाधीश ने अपने बयान में कहा कि  मैंने पाया है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में प्रत्यक्ष तौर पर देरी हुई है। 

अदालत ने कहा कि मामले में रोहित नाम के दो आरोपी थे और यह शिकायतकर्ता और अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों से स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने किसके खिलाफ आरोप लगाए हैं। अदालत ने कहा कि करावल नगर इलाके में दंगे से जुड़े सीसीटीवी फुटेज अथवा वायरल हुए वीडियो में रोहित कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। अदालत ने रोहित को गवाहों को नहीं धमकाने, साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने और मामले की सुनवाई में नियमित तौर पर मौजूद रहने के निर्देश दिए। 

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान रोहित की ओर से पेश वकील अमित सिंह ने अदालत को बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में लगभग आठ दिनों की अस्पष्ट देरी हुई है। उन्होंने कहा कि रोहित किसी भी सीसीटीवी फुटेज या वायरल हुए वीडियो में नहीं दिखाई दिया है और शिकायतकर्ता ने एफआईआर में उसका नाम भी नहीं लिया है। 

राज्य की ओर से पेश विशेष सरकारी वकील राम चंदर सिंह भदौरिया ने जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने अपने पूरक बयान में आरोपी का नाम दिया था। उन्होंने आगे कहा कि सह अभियुक्त अंकित और सौरभ शर्मा ने भी अपने बयानों में रोहित का नाम लिया था।
 

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