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दिल्ली दंगे : जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद 10 दिन की पुलिस रिमांड पर

जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों की साजिश के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अदालत ने 10 दिन की...

दिल्ली दंगे : जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद 10 दिन की पुलिस रिमांड पर
प्रमुख संवाददाता, नई दिल्लीTue, 15 Sep 2020 05:50 AM
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जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों की साजिश के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अदालत ने 10 दिन की रिमांड पर दिल्ली पुलिस के सुपुर्द किया है। अब खालिद को 24 सितंबर को रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा।

कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत के समक्ष आरोपी उमर खालिद को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया। पुलिस ने खालिद को 10 दिन की रिमांड पर देने की मांग की। साथ ही कहा कि खालिद दिल्ली में हुए दंगों के साजिशकर्ता के तौर पर मुख्य किरदारों की सूची में शामिल है। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना था कि इन दंगों को लेकर करीब 11 लाख इलेक्ट्रॉनिक व दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए गए हैं। आरोपी उमर का सामना इन दस्तावेजों से कराना है।

साथ ही पुलिस का कहना था कि दंगों की पीछे की साजिश में अभी तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन दंगों की साजिश में कई छात्र संगठनों के नेता शामिल पाए गए हैं। इन सभी से आरोपी उमर खालिद का सामना कराना है। साथ ही दंगों के ही लिए पिस्तौल, पेट्रोल बम आदि हथियारों को पहले दंगों के लिए तैयार करके रखा गया था। इसकी जांच भी करनी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए रची साजिश
दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष तर्क पेश करते हुए कहा कि इन दंगों को ठीक उसी समय प्रायोजित किया गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत के दौरे पर आए। उस समय विश्वभर का मीडिया भारत में था। इन दंगों को कराने के पीछे आरोपियों का मकसद था कि वह यह साबित कर सकें कि भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ अत्याचार हो रहा है। इसी लिए 22 फरवरी की रात प्रायोजित तरीके से मुस्लिम महिलाओं व बच्चों को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बड़ी संख्या में एकत्रित कर रास्ता रोक दिया गया।

बचाव पक्ष ने कहा दंगों के दौरान दिल्ली में नहीं था उमर
उमर के वकील ने रिमांड याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनका मुवक्किल उमर खालिद 23 से 26 फरवरी के दौरान दिल्ली में नहीं था। जबकि दंगे इसी दौरान हुए। लेकिन पुलिस की तरफ से कहा गया कि वह उससे पहले ही भाषणबाजी कर दंगों की भूमिका तैयार कर चुका था। प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा एक पूर्व-निर्धारित साजिश थी जो कथित तौर पर खालिद और दो अन्य लोगों द्वारा रची गई थी।

खालिद पर देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और दंगा करने के अपराध के लिए भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का आरोप है कि खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और नागरिकों से अपील की थी कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरें और सड़कों को अवरुद्ध करें और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार करें कि कैसे भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है।

पुलिस ने आरोप लगाया कि सह-अभियुक्त दानिश को दंगों में भाग लेने के लिए दो अलग-अलग जगहों से लोगों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। प्राथमिकी में कहा गया है कि नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।

खालिद की सुरक्षा के विशेष निर्देश दिए गए
बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा खालिद की सुरक्षा को खतरा बताते हुए याचिका लगाई गई। जिसके बाद अदालत ने पुलिस उपायुक्त को खालिद की सुरक्षा के विशेष निर्देश दिए। इसके अलावा पुलिसकर्मियों व बचाव पक्ष के वकीलों को कहा कि जब भी उमर खालिद से पूछताछ या मुलाकात की जाए तो सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य नियमों का पालन किया जाए। उमर को रिमांड पर लेने से पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए। साथ ही उमर खालिद की उस याचिका को भी मंजूर कर लिया गया जिसमें उसने चार ट्रेक्स, चार टी-शर्ट, तीन अंडर गारमेंट, दो टूथब्रश, टूथपेस्ट, साबुन, दो हेंडवाश, 20 मास्क, दो लीटर हेंड सेनेटाइजर की बोतल, दो तौलिए, कैल्शियम व एंटी एसिड की टेबलेट के पत्ते साथ रखने की अनुमति मांगी थी।

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