दिल्ली कोचिंग हादसे में एसयूवी चालक और 4 अन्य को नहीं मिली बेल, जांच अधिकारी को भी नोटिस
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मनुज कथूरिया, तेजिंदर, हरविंदर, परविंदर और सरबजीत की जमानत याचिका खारिज कर दी। यही नहीं अदालत ने जांच अधिकारी से भी जवाब तलब किया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
दिल्ली की एक अदालत ने राजेंद्र नगर के यूपीएससी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट की मौत के मामले में एसयूवी चालक एवं चार अन्य को जमानत देने से इनकार कर दिया है। तीस हजारी कोर्ट ने मनुज कथूरिया, तेजिंदर, हरविंदर, परविंदर और सरबजीत की जमानत याचिका खारिज कर दी। यही नहीं अदालत ने मनुज कथूरिया की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर जांच अधिकारी से जवाब तलब किया। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार ने एसयूवी चालक मनुज कथूरिया और बेसमेंट के सह-मालिकों तेजिंदर सिंह, परविंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायाधीश ने कहा- सभी जमानत याचिकाएं खारिज की जाती हैं। कथूरिया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी एसयूवी को उस सड़क पर चलाया, जहां बारिश का पानी भरा हुआ था। इससे पानी का बहाव एक तरफ बढ़ गया और तीन मंजिला इमारत के गेट टूट गए तथा बेसमेंट जलमग्न हो गया। चारों सह-मालिकों पर आपराधिक कृत्य को उकसावा देने का आरोप लगाया गया है। मामले में पांचों आरोपियों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था।
इससे पहले, रविवार को मजिस्ट्रेट अदालत ने राऊज आईएएस स्टडी सर्किल के मालिक अभिषेक गुप्ता और समन्वयक देशपाल सिंह को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 106 (1) (लापरवाह कृत्य से किसी व्यक्ति की मौत), 115 (2) (जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 290 (इमारतों को गिराने, मरम्मत करने या निर्माण करने के संबंध में लापरवाहीपूर्ण व्यवहार) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने हादसे से जुड़े मामले में प्राधिकारियों को बुधवार को जमकर फटकार लगाई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जब मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति के कारण कर संग्रह नहीं होता है, तब ऐसी त्रासदियां होना स्वाभाविक है। अदालत ने कहा कि एक 'अजीब जांच' चल रही है।
इस अदालत ने जांच में कोचिंग सेंटर के पास से गुजरने वाले एसयूवी चालक के खिलाफ तो पुलिस ने कार्रवाई की है लेकिन एमसीडी के अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट हादसे की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
पीठ ने कहा कि पानी की उचित निकासी की व्यवस्था नहीं है, लेकिन बहुमंजिली इमारतों को संचालित करने की अनुमति दी जा रही है। अदालत ने एक और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आप मुफ्त की सौगातें बांटने की कल्चर चाहते हैं, लेकिन टैक्स नहीं वसूलना चाहते, इसलिए ऐसा तो होना ही है। इसके साथ ही पीठ ने प्राधिकारियों पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है, लेकिन वे दिवालिया हो गए हैं। आलम यह है कि वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं।
पीठ ने यह भी कहा कि इस घटना के लिए सभी हितधारक जिम्मेदार हैं। हम सभी शहर का हिस्सा हैं। नाले खुलने और बंद होने का कारण भी हम ही हैं। हम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि अभी पुलिस से अब तक उनके द्वारा उठाए गए कदमों की रिपोर्ट तलब की जा रही है। फिर उसके बाद विचार किया जाएगा कि मामले की जांच केन्द्रीयकृत जांच एजेंसी को सौंपी जाए अथवा नहीं।
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