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छह वर्षों में 90 फीसदी कम हुई लैंडफिल साइट की आग, की DPCC रिपोर्ट में खुलासा

यूं तो दिल्ली की तीनों ही लैंडफिल साइट (भलस्वा, ओखला और गाजीपुर) पर जमा कचरे में आग लगती रही है, लेकिन भलस्वा लैंडफिल साइट इस मामले में सबसे आगे है। यहां अक्सर ही आग लगने की घटनाएं होती रही हैं।

छह वर्षों में 90 फीसदी कम हुई लैंडफिल साइट की आग, की DPCC रिपोर्ट में खुलासा
Nishant Nandanहिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 01 Feb 2023 05:15 AM

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दिल्ली में कचरे के ढेर(पहाड़) में लगने वाली आग पर काबू पाने में काफी हद तक सफलता मिली है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक बीते छह सालों में आग की घटनाएं 90 फीसदी तक कम हुई है। इस साल इसे शून्य पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राजधानी में तीन बड़ी लैंडफिल साइट मौजूद हैं। भलस्वा, ओखला और गाजीपुर लैंडफिल साइट की समयावधि पूरा होने के बाद भी विकल्पों के अभाव में कचरा डाला जाता रहा है। इसके चलते वहां पर कचरे का ऊंचा पहाड़ खड़ा हो गया है। कचरे के इन पहाड़ों पर अक्सर ही लगने वाली आग लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी। इस आग पर काबू पाने के लिए लिए तमाम उपाय किए जाते रहे हैं।

डीपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि इन उपायों के अच्छे परिणाम मिले हैं। कचरे के पहाड़ों पर लगने वाली आग के मामले में 90 फीसदी तक की कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में तीनों लैंडफिल साइट पर आग लगने की कुल 159 घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर सिर्फ पांच रह गई है। हालांकि, चिंता की बात यह है कि इसमें से चार मामले बड़ी आग के रहे थे। इस साल आग की घटनाओं को शून्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

लैंडफिल साइट पर लगी आग का धुआं आसपास के पूरे वातावरण को जहरीला बना देता है। इसके चलते एक बड़े इलाके में वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है और लोगों को प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ता है।

भलस्वा पर लगती रही है सबसे ज्यादा आग

यूं तो दिल्ली की तीनों ही लैंडफिल साइट पर जमा कचरे में आग लगती रही है, लेकिन भलस्वा लैंडफिल साइट इस मामले में सबसे आगे है। यहां अक्सर ही आग लगने की घटनाएं होती रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 से 2022 तक आग की 277 घटनाएं हुई हैं। इनकी तुलना में गाजीपुर में 70 और ओखला लैंडफिल साइट पर आग की दो घटनाएं हुईं।

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