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गुरुग्राम में हुए क्राइम की दिल्ली पुलिस को पहले मिलती है खबर!

अपराध रोकने और अपराधियों को तत्काल पकड़ने के लिए पुलिस को आधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है पर इसमें नेटवर्क की अड़चन से मकसद पूरा नहीं हो रहा है। हाल यह है कि दिल्ली बॉर्डर से सटे शहर के छह...

गुरुग्राम में हुए क्राइम की दिल्ली पुलिस को पहले मिलती है खबर!
गुरुग्राम | कार्यालय संवाददाताWed, 04 Dec 2019 03:50 PM
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अपराध रोकने और अपराधियों को तत्काल पकड़ने के लिए पुलिस को आधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है पर इसमें नेटवर्क की अड़चन से मकसद पूरा नहीं हो रहा है। हाल यह है कि दिल्ली बॉर्डर से सटे शहर के छह से अधिक इलाकों से गुरुग्राम पुलिस के कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर फोन करने पर कई बार कॉल दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में लग जाती है। बाद में दिल्ली पुलिस की ओर से यह सूचना गुरुग्राम पुलिस कंट्रोल रूम को दी जाती है फिर वहां से पीसीआर को सूचना दी जाती है। इसमें देरी से कई बार अपराधी गिरफ्त से दूर निकल जाते हैं। इस गड़बड़ी को पुलिसवाले भी स्वीकार करते हैं।

स्थानीय लोगों और पुलिस सूत्रों का कहना है कि गुरुग्राम दिल्ली-बॉर्डर से सटे उद्योग विहार, डीएलएफ के कुछ हिस्से, कापसहेड़ा, सेक्टर-21, नाथूपुर आदि इलाकों में नेटवर्क की समस्या है। इससे यहां से कॉल करने पर गुरुग्राम के पुलिस उपायुक्त कार्यालय में बने कंट्रोल रूम में फोन नहीं लगता। कई चश्मदीदों ने बताया कि जरूरत के समय मदद के लिए इन इलाकों से 100 नंबर पर फोन करने पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में फोन लग गया।

जगह समझाने में आती है दिक्कत : ऐसे में पीड़ित को पहले जगह समझाने में परेशानी होती है, बाद में पता चलता है कि कॉल दिल्ली में लग गई है। इसके बाद दिल्ली पुलिस वहां से सूचना गुरुग्राम पुलिस तक पहुंचाती है। पीड़ित का नंबर दिया जाता है, जिसके बाद कंट्रोल रूम से संबंधित थाना को सूचना दी जाती है और फिर पीड़ित को मदद मिलती है। लोगों का कहना है कि नेटवर्क की यह दिक्कत शहरवासियों के लिए भी मुसीबत बन जाती है। इससे लोगों को पुलिस के आने का इंतजार करना पड़ता है।

वायरलेस तक सूचना भेजना भी मुश्किल : मेवात और सोहना से सटे इलाकों में भी नेटवर्क कमजोर होने के कारण कंट्रोल रूम से सूचना कई बार पीसीआर वैन में लगे वायरलेस सिस्टम तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में संबंधित थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मियों को कंट्रोल रूम से फोन कर सूचना देनी पड़ती है।

थाना क्षेत्र के दायरे के अनुसार दी गई हैं पीसीआर : जिले में पीसीआर वैन थाना क्षेत्र के अनुसार दी गई हैं, जिन थानों के अंतर्गत ज्यादा क्षेत्र आते हैं उनमें एसएचओ मोबाइल वैन के अलावा दो-दो पीसीआर भी मुहैया कराई गई हैं। जिससे कि सभी क्षेत्रों को आसानी से कवर किया जा सके। अधिकारियों के मुताबिक इसके अलावा बाकी थानों में एचएसओ मोबाइल वैन के अलावा एक-एक पीसीआर उपलब्ध है, जिसके जरिए पुलिसकर्मी गश्त करते हैं।

अतिरिक्त पीसीआर मिलने की उम्मीद : प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने थानों में दो-दो पीसीआर वैन उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इसके लिए जल्द ही 400 से ज्यादा नए वाहन खरीदे जाएंगे। यदि गुरुग्राम में भी अतिरिक्त पीसीआर मिलती हैं तो इससे व्यवस्था और मजबूत होगी।

जिले में हैं 66 पीसीआर और 100 राइडर 

जिले को पुलिस विभाग के आधीन चार जोन में बांटा गया है। इसके पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और मानेसर जोन में 35 थाने हैं। इसके अलावा तीन महिला थाने भी हैं। इन सभी थानों में करीब 66 पीसीआर और 100 राइडर हैं। इसके अलावा सभी थाना प्रभारियों को भी एक-एक एसएचओ मोबाइल वैन दी गई है, जिनकी संख्या करीब 54 है। जिले में 13 अपराध शाखाएं भी हैं। सभी अपराध शाखा को भी एक-एक गाड़ी मुहैया कराई गई है। वहीं छह पीसीआर वैन महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई दुर्गा शक्ति फोर्स के पास हैं।

कई थानों में सिर्फ एक पीसीआर से मुसीबत

सूत्रों का कहना है कि अभी कई थानों में एक ही पीसीआर है। ऐसे में यदि एक पीसीआर किसी कॉल पर गई हुई है और उसी दौरान दूसरी जगह से भी मदद के लिए फोन आता है, तो राइडर को भेजना पड़ता है। इसके अलावा आरोपियों को कोर्ट में पेश करने ले जाने के लिए पीसीआर में ही लेजाना पड़ता है। पीछे से यदि मदद के लिए कोई कॉल आती है, तो या तो एचएचओ मोबाइल वैन को भेजना पड़ता है या बाइक पर राइडर मदद के लिए जाते हैं। 

''जिले में 66 पीसीआर और 100 राइडर हैं। इसके अलावा हर थाना निरीक्षक के पास एक मोबाइल वैन है। पीसीआर थाना क्षेत्र के अनुसार दी गई हैं। सभी गाड़ियां नई हैं। कंट्रोल रूप में कॉल कई बार नेटवर्क में दिक्कत के कारण नहीं लग पाती है।'' -सुभाष बोकन, पुलिस प्रवक्ता

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