दिल्ली : नवजात बच्चों की तस्करी और गोद देने वाले रैकेट का भंडाफोड़, 6 महिलाएं गिरफ्तार, कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कथित रूप से नवजात शिशुओं के अपहरण, तस्करी और जैविक माता-पिता या गरीब माता-पिता से पैसे के बदले में शिशुओं को खरीदने एवं गोद लेने वाले एक...
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कथित रूप से नवजात शिशुओं के अपहरण, तस्करी और जैविक माता-पिता या गरीब माता-पिता से पैसे के बदले में शिशुओं को खरीदने एवं गोद लेने वाले एक अंतरराज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए छह महिलाओं को गिरफ्तार किया है, जबकि सरगना अब भी फरार है।
पुलिस अधिकारी ने शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह गिरोह 50 से अधिक शिशुओं की तस्करी में संलिप्त था। उन्होंने बताया कि गिरोह के सदस्य आर्थिक रूप से गरीब परिवार के बच्चों को खरीद कर निःसंतान दंपतियों को मोटी रकम लेकर बेच देते थे।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) राजेश देव ने बताया कि 17 दिसंबर को उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि गैंग के सदस्य गांधीनगर श्मशान घाट के निकट दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब एक शिशु को बेचने आ रहा है। इसके बाद छापेमारी की गई और मौके से तीन महिलाओं को पकड़ लिया गया तथा उनके पास से सात-आठ दिन के शिशु को बरामद किया गया। अधिकारी ने बताया कि इसके अगले दिन गिरोह के तीन अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और एक बच्ची को बचा लिया गया।
पकड़ी गई महिलाओं ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया कि वे जल्दी पैसा कमाने के लिए बच्चे को बेचने आई थीं और लड़के की व्यवस्था एक महिला प्रियंका ने की थी, जो प्रिया की बड़ी बहन है।
अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों की पहचान प्रिया जैन, प्रिया, काजल, रेखा, शिवानी और प्रेमवती के रूप में की गई है। पुलिस ने बताया कि आगे की कार्रवाई की जा रही है।
इस गिरोह ने एक अनूठी कार्यप्रणाली विकसित की थी, वे गरीब वर्ग की गर्भवती महिलाओं की पहचान करते थे और विवाहित जोड़ों के साथ सौदा करते थे और जैसे ही बच्चा पैदा होता था, उसे माता-पिता से दूर ले जाया जाता था और गिरोह के सदस्य बच्चे को अपने पास रखते थे। वे एक साथ कई संभावित खरीदारों की पहचान करते और सोशल मीडिया के माध्यम से सभी दलालों के बीच बच्चे की तस्वीर प्रसारित करते और बाद में बच्चे को खरीदने के लिए सहमत होने वाले जोड़े को बच्चे को बेच देते थे।
डीसीपी राजेश देव ने कहा कि यह गिरोह गरीब परिवारों से भी नवजात शिशुओं को खरीदता था और उन्हें अमीरों को बेचता था। वे 1 से 2 लाख रुपये में एक बच्चा खरीदते और उन्हें 3 से 4 लाख रुपये में आगे बेच देते थे। चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह के सदस्यों ने विक्रेता और खरीदारों को यह भी आश्वस्त किया कि यह अवैध नहीं है।
पुलिस अधिकारी ने आगे बताया कि ऐसे मामले भी थे जिनमें गिरोह के सदस्यों ने नोटरीकृत दस्तावेज भी बनवाए थे, जिसमें विक्रेता कानूनी रूप से बच्चे को गोद लेने का दावा करता, जबकि वास्तव में बच्चा 2 से 3 लाख रुपये में खरीदा गया था और आरोपी को मोटा कमीशन मिलता।
"काजल और प्रियंका गिरोह की मास्टरमाइंड हैं। यह भी पता चला है कि इस गिरोह का नेटवर्क अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है। प्रियंका को छोड़कर सभी आरोपी पुलिस हिरासत में हैं, जो अभी फरार है। गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।