मनी लॉन्ड्रिंग केस में PFI नेताओं को राहत नहीं, दिल्ली की अदालत ने खारिज की जमानत याचिका
जांच एजेंसियों को शक है कि पीएफआई आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराता है। इस बड़ी कार्रवाई के बाद सरकार ने पीएफआई के खिलाफ ऐक्शन लिया था और इसे तथा इससे जुड़े कुछ संगठनों पर बैन लगाया था।

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दिल्ली की एक अदालत ने PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के तीन नेताओं की जमानत याचिका खारिज कर दी है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई ने मंगलवार को पीएफआई नेताओं मोहम्मद परवेज, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत की जमानत याचिका खारिज की है। प्रवर्तन निदेशालय ने इन सभी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। बता दें कि पिछले ही साल पीएफआई पर जांच एजेंसियों ने जबरदस्त शिकंजा कसा था। देश भर में पीएफआई के कई ठिकानों पर व्यापक स्तर से छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। मोहम्मद परवेज अहमद पीएफआई की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष है और अब्दुल मुकीत कार्यालय सचिव जबकि मोहम्मद इलियास महासचिव है।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय यह दावा कर चुका है कि दिल्ली इकाई के इन तीनों पदाधिकारियों में से परवेज अहमद ने यह माना भी है उसे दिल्ली में पैसे जुटाने की जानकारी थी। परवेज अहमद को लेकर ईडी ने यह भी कहा था कि वो जानबूझ कर सही तथ्यों को छिपाता रहा और जांच अधिकारी को उसने गुमराह करने की कोशिश की थी।
जांच एजेंसियों को शक है कि पीएफआई की आतंकी संगठनों से सांठगांठ है। इसी शक के आधार पर अलग-अलग जांच एजेंसियों ने यह बड़ी कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के दौरान कई पीएफआई नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। जांच एजेंसियों को शक है कि पीएफआई आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराता है। इस बड़ी कार्रवाई के बाद सरकार ने पीएफआई के खिलाफ ऐक्शन लिया था और इसे तथा इससे जुड़े कुछ संगठनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था।
इस विवादित संगठन का नाम नागरिकता संशोधन कानून के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर यूपी में कानपुर हिंसा, राजस्थान के करौली में हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में हिंसा और कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या, समेत देशभर में कई हिंसा और हत्याओं से जोड़ा जाता है।