ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News NCRदिल्ली: दस साल बाद आज एक हो जाएंगे तीनों निगम, विशेष अधिकारी और निगमायुक्त संभालेंगे पदभार; रिपोर्ट में पढ़ें क्या होगा खास

दिल्ली: दस साल बाद आज एक हो जाएंगे तीनों निगम, विशेष अधिकारी और निगमायुक्त संभालेंगे पदभार; रिपोर्ट में पढ़ें क्या होगा खास

दिल्ली के तीनों निगम आज दस साल बाद एक हो जाएंगे। विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और निगमायुक्त ज्ञानेश भारती आज अपना पदभार संभालेंगे। अब राजस्व बढ़ने की भी संभावना रहेगी। पढ़ें रिपोर्ट

दिल्ली: दस साल बाद आज एक हो जाएंगे तीनों निगम, विशेष अधिकारी और निगमायुक्त संभालेंगे पदभार; रिपोर्ट में पढ़ें क्या होगा खास
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीSun, 22 May 2022 08:13 AM
ऐप पर पढ़ें

 

राजधानी में दस साल बाद तीनों नगर निगम आज एकीकृत हो जाएंगे। रविवार को विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और निगमायुक्त ज्ञानेश भारती अपना पदभार संभालेंगे। तीनों निगमों के एकीकृत होने पर जहां निगम के कर्मचारी और अधिकारी पशोपेश में पड़े हुए हैं, तो वहीं अनेक अफसरों के प्रमोशन की राह आसन होने जा रही है। वहीं, लोगों को इस बात की आशंका भी है कि पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने से उनके कार्यों पर बड़ा असर पड़ेगा। इंस्पेक्टर राज हावी होने की भी आशंका रहेगी। पेश है एक रिपोर्ट...

अधिकारी, कर्मचारी पशोपेश में

तीनों निगम के एकीकृत होने से दो निगम के अधिकारियों के पद खत्म हो जाएंगे। ऐसे में अधिकारी और कर्मचारी अपनी भूमिका को लेकर पशोपेश में पड़े हुए हैं। किसी अधिकारी को यह परेशानी है कि उसे पहले की तरह विभाग का मुखिया बनाया जाएगा या नहीं, तो किसी कर्मचारी की नींद इस बात को लेकर उड़ी हुई कि कहीं उसका विभाग न बदल दिया जाए। 

सदर पहाड़गंज जोन में कार्यरत एक अधिकारी का कहना है कि किसी कर्मचारी का अगर नरेला जोन से तबादला होकर दक्षिण जोन में किया जाता है तो जाहिर है उसकी परेशानी बढ़ जाएगी। इसी तरह से अब तक पूर्वी निगम मुख्यालय में कार्यरत किसी कर्मचारी या अधिकारी को नजफगढ़ जोन भेज दिया जाता है तो उसकी चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। इसे लेकर मुख्यालय और जोन में कार्यरत कर्मचारी अधिकारी पशोपेश में पड़े हुए हैं कि एकीकृत निगम होने पर उनका तबादला कहां होगा।

अफसरों के प्रमोशन की राह आसान होगी

एकीकृत होने पर निगम में कार्यरत डेम्स, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग, हाउस टैक्स, उद्यान विभाग, प्रशासनिक विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों के प्रमोशन की राह आसान हो जाएगी। निगम सूत्रों का कहना है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तरी निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में रेलवे, आईटी, पर्यावरण सहित दानिक्स कैडर के अधिकारी डेपुटेशन पर आते हैं। 

डेपुटेशन पर आने वाले अधिकारियों की वजह से निगम अधिकारियों को प्रमोशन के लिए कई साल तक इंतजार करना पड़ रहा है। दक्षिण निगम में ही 174 अफसर दूसरे विभागों से डेपुटेशन पर आए हुए हैं। इसे लेकर सदन की बैठक में जोर-शोर से मुद्दा भी उठा था। इनसे आधी संख्या उत्तरी और पूर्वी निगम में है। अब निगम के एकीकृत होने से निगम के अधिकारियों में अपने-अपने प्रमोशन को लेकर उम्मीद बंधी है कि उनके प्रमोशन की राह में अड़चन बने डेपुटेशन के ये अधिकारी अब निगम से अपने-अपने कैडर में चले जाएंगे।

घाटा घटेगा, राजस्व बढ़ेगा

शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगांई का कहना है कि अब दिल्ली नगर निगम एकीकृत होने से पहला लाभ प्रशासनिक स्तर पर मिलेगा। दूसरा लाभ यह होगा कि निगम में सुधार होने से वित्तीय घाटे पर अंकुश लग सकेगा। साथ ही राजस्व बढ़ने की संभावना अधिक रहेगी। 

दूसरे कैडर से आए अधिकारियों की छंटनी होने के बाद निगम अधिकारियों की जवाबदेही अब ज्यादा होगी जो कि जनता के हक में होगा। उन्होंने कहा कि एकीकृत निगम में ज्ञानेश भारती निगमायुक्त बनाए जा रहे हैं। वह विभाजित निगमों का कार्यभार भी संभाल चुके हैं और एकीकृत निगम में भी कार्य कर चुके हैं। उनके अनुभवों से निगम की स्थिति में सुधार होने की अधिक गुंजाइश है।

आम लोगों पर असर

विभिन्न वार्डों के लोगों का कहना है कि एकीकृत निगम होने पर स्थानीय लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस संबंध में राकेश कुमार का कहना है कि अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर अपने वार्ड के निगम पार्षद से संपर्क कर काम करा लेते थे, लेकिन अब पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने पर जोन के निगम अधिकारी आम व्यक्ति की बात को नहीं सुनेंगे। 

इसका ताजा उदाहरण भवन विभाग के अधिकारियों द्वारा दिलशाद गार्डन, करावल नगर, नरेला, रोहिणी जोन, केशवपुरम क्षेत्र में लोगों को बड़ी संख्या में मकानों से संबंधित नोटिस जारी किए जाना हैं। उन्होंने आशंका जताई कि अब निगम अधिकारी अपनी मनमर्जी चलाएंगे। जाहिर है लोग पार्षद न होने की वजह से अब किस से संपर्क करेंगे। जब तक निगम पार्षद नहीं चुने जाएंगे तब तक स्थानीय नागरिकों को इंस्पेक्टर राज की परेशानी झेलनी पड़ सकती है।

कार्यकाल के अंतिम दिन की छापेमारी

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मंडावली इलाके में अवैध रूप से चल रही पार्किंग पर छापा मारा। इस पार्किंग का टेंडर खत्म हो चुका था और उसके बाद भी पार्किंग में वाहन में खड़े कर वसूली की जा रही थी। महापौर का कहना है कि 11 अक्तूबर को पार्किंग ठेकेदार को पार्किंग खाली करने का नोटिस दिया गया था तो फिर पार्किंग कैसे चलाई जा रही थी। इसे लेकर उन्होंने अफसरों को भी आड़े हाथों लिया।

निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने महापौर को जानकारी दी कि पार्किंग का टेंडर पूरा होने के बाद पार्किंग संचालक को उसे खाली करने का नोटिस दिया गया था। अवैध रूप से चल रही इस पार्किंग से निगम को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। महापौर का कहना है कि इस मामले को लेकर पार्किंग को सील करने के आदेश जारी किए गए हैं। साथ ही मामले की जांच सतर्कता विभाग से कराने के लिए निगमायुक्त को पत्र लिखा गया है। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों की वजह से निगम की आर्थिक स्थिति खराब बनी हुई है।

शनिवार को कार्यालयों में नहीं हुआ कामकाज

तीनों निगमों के मुख्यालय सहित जोन कार्यालयों में शनिवार को छुट्टी होने की वजह से कोई काम-काज नहीं हुआ। हालांकि, छुट्टी के दिन रविवार को एकीकृत निगम होने के साथ निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में हलचल रहेगी। रविवार को वैसे तो छुट्टी का दिन है, लेकिन निगम के पद को खाली नहीं छोड़ा जा सकता इसलिए रविवार को सिविक सेंटर में स्पेशल ऑफिसर अश्वनी कुमार और निगमायुक्त ज्ञानेश भारती अपना-अपना पदभार संभालेंगे।

दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन संजय गहलोत ने कहा, 'निगम को एकीकृत करते समय केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के प्रति सहानभूति नहीं रखी है। कर्मचारियों के लिए कोई स्पेशल पैकेज अब तक जारी नहीं किया गया है। निगम एकीकृत होने पर दिल्ली सरकार के साथ वही उलझनें रहेंगी जो पहले से चलती आ रही हैं। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को छह माह से वेतन नहीं मिला है। केंद्र सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट नहीं होने से कर्मचारियों के फंसे रहने की स्थिति बनी रहेगी।'

अहम पड़ाव

1958 में संसद के अधिनियम के तहत दिल्ली नगर निगम की स्थापना की गई।
08 वार्ड बनाए गए पहली बार हुए नगर निगम चुनाव में।
1967 में निगम वार्ड की संख्या बढ़ाकर 100 कर दी गई।
2012 में दिल्ली में पहली बार निगम का विभाजन हुआ और तीन अलग-अलग नगर निगम बने।
2012 में तीनों निगम के अलग-अलग चुनाव हुए, इस बार वार्डों की संख्या 272 की गई।
2012 में 30 अप्रैल को उत्तरी निगम, 1 मई को पूर्वी निगम और 2 मई को दक्षिणी निगम का अधिकारिक रूप से गठन हुआ।
30 मार्च 2022 को तीनों नगर निगमों के एकीकरण का बिल लोकसभा में पास हुआ।
5 अप्रैल को निगम एकीकरण का बिल राज्यसभा में पास हुआ।
18 अप्रैल को निगम एकीकरण बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिली।
19 मई को विशेष अधिकारी और निगम आयुक्त की नियुक्ति हुई।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें