एमसीडी स्थायी समिति चुनाव मामले में मेयर ने हाईकोर्ट में कहा, दोबारा चुनाव कराने में कोई पूर्वाग्रह नहीं
मेयर शैली ओबेरॉय ने शुक्रवार दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि यदि एमसीडी स्थायी समिति के छह सदस्यों को चुनने के लिए पुनर्मतदान कराया जाता है तो इसमें कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा। जानें उन्होंने क्या बातें कही।
एमसीडी स्थायी समिति (MCD Standing Committee) के छह सदस्यों के चुनाव को लेकर सियासत गर्म है। मेयर शैली ओबेरॉय (Mayor Shelly Oberoi) ने शुक्रवार को कहा कि एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के निर्वाचन में पुनर्मतदान कराने में कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा पार्षदों की चुनौती पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत (Kamaljeet Sehrawat) और शिखा रॉय (Shikha Roy) की याचिकाओं पर दोबारा चुनाव कराए जाने पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकीलों ने दावा किया था कि चुनाव परिणामों को अपने हक में नहीं जाता देख मेयर (जो रिटर्निंग ऑफिसर भी हैं) ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया। मेयर ने दोबारा चुनाव कराने का आह्वान किया। वहीं शैली ओबेरॉय का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ने शुक्रवार को कहा कि 24 फरवरी को हुए मतदान के दौरान सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान जरूरी था।
शैली ओबेरॉय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा- पुनर्मतदान कराने में कोई पक्षपात नहीं होगा। क्या दोबारा मतदान याचिकाकर्ताओं के लिए पूर्वाग्रह पैदा करेगा। वे कहते हैं कि चुनाव भाजपा के पक्ष में जा रहा है तो ऐसा फिर से होगा। भाजपा पार्षदों ने दोबारा मतगणना की अनुमति नहीं दी। भाजपा पार्षदों ने हंगामा किया। वहीं मेयर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। प्राधिकरण केवल यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रक्रिया कानून के अनुसार हो। आखिरकार न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
वहीं दो भाजपा पार्षदों की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों ने आरोप लगाया था कि मेयर ने गलत तरीके से एक वोट को अमान्य किया। मालूम हो कि मेयर ने 24 फरवरी को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव के लिए 27 फरवरी को सुबह 11 बजे नए सिरे से मतदान कराने की घोषणा की थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को स्थायी समिति के छह सदस्यों के दोबारा चुनाव पर रोक लगा दी थी जो 27 फरवरी को कराए जाने वाले थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महापौर ने प्रथम दृष्टया फिर से चुनाव कराए जाने का आदेश देकर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।