आदेश के बाद भी दिल्ली में जानवरों की चर्बी गलाने की घटनाएं जारी, MCD और पुलिस से जवाब तलब
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जानवरों की चर्बी गलाने की अवैध गतिविधियों से संबंधित एक याचिका पर एमसीडी और पुलिस के अधिकारियों से जवाब मांगा है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के एक इलाके में 'जानवरों की चर्बी' को पिघलाने से संबंधित कथित अवैध गतिविधियों से संबंधित एक याचिका पर शहर के अधिकारियों से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने वकील फराज खान की अवमानना याचिका पर दिल्ली पुलिस और एमसीडी को चार हफ्ते के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पशुओं की चर्बी और त्वचा के पिघलने के संबंध में उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने वाले आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। दिल्ली में 12 ऐसी इकाइयां हैं जो अवैध रूप से काम कर रही हैं।
सुनवाई के दौरान एमसीडी और पुलिस के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने पहले ही कानून के अनुसार कार्रवाई शुरू कर दी है। दो इकाइयों को सील कर दिया गया है। अदालत ने 8 नवंबर को संबंधित उत्तरदाताओं को चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश जारी किया। अदालत ने कहा कि इस मामले में अधिकारी 16 जनवरी 2024 को स्थिति रिपोर्ट सुपुर्द करें।
अदालत ने पुलिस से उस व्यक्ति की ओर से किसी भी धमकी के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायतों या किसी टेलीफोन कॉल पर भी गौर करने को कहा कि जिसकी इकाई को सील कर दिया गया है। अगस्त में याचिकाकर्ता ने एक जनहित याचिका दायर कर पशुओं की चर्बी को गलाने संबंधी अवैध गतिविधियों के संबंध में निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा कि उन्होंने सदर बाजार पुलिस स्टेशन के SHO के अलावा एमसीडी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष, स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ उपराज्यपाल को भी शिकायत दी है।
याचिका में दावा किया गया है कि जानवरों की खाल और चर्बी के पिघलने के कारण क्षेत्र में दुर्गंध फैल गई, जिसके कारण स्थानीय लोग स्वस्थ हवा और पर्यावरण से वंचित हो गए। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन था। दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा- एमसीडी और अन्य अधिकारियों को चार हफ्ते की अवधि के भीतर कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है। अधिकारियों ने अपने कानूनी दायित्वों का पालन नहीं करके कानून की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।
