MCD को ही भंग कर देना चाहिए; नाले में मां-बेटे की मौत पर HC की फटकार
दिल्ली में भारी बारिश के चलते उफनते नाले में बह जाने से मां-बेटे की मौत की घटना पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी को कड़ी फटकार लगाते हुए दिल्ली पुलिस को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में मां-बेटे की हुई मौत के बाद निगम अधिकारियों के कामकाज पर नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने मंगलवार को कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी विभाग एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने पर लगे हैं। सरकार को एमसीडी को भंग करने की सिफारिश करनी चाहिए क्योंकि इसके संचालन में समस्याएं और अक्षमताएं हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
साथ ही अदालत ने कहा कि पुलिस धीमी गति से जांच कर रही है। पुलिस को एफआईआर में आपराधिक लापरवाही के प्रावधान भी दर्ज करने चाहिए। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारी और एमसीडी के डिप्टी कमिश्नर कोर्ट में पेश हुए।
अदालत ने सुनवाई के दौरान शाहदरा के एमसीडी डिप्टी कमिश्नर के बयान को भी रिकॉर्ड पर लिया है जिसमें कहा गया है कि नाले के आस-पास के क्षेत्र को साफ किया जाएगा और गंदगी के साथ-साथ कचरे को तुरंत हटाया जाएगा। अदालत ने एमसीडी को एक हफ्ते के भीतर अपनी कार्रवाई को दिखाते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की गई है।
अदालत ने एमसीडी और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह उचित मामला है, जहां अदालत सरकार से एमसीडी को भंग करने के लिए कह सकती है। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि मामले में नगर निगम के अधिकारियों ने आपराधिक लापरवाही की है और उन पर मामला दर्ज होना चाहिए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा- एमसीडी एक आरामदायक क्लब बन गई है, जहां आप जाते हैं, एक कप चाय पीते हैं और वापस आ जाते हैं। मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि यदि यह आदमी (कोर्ट में मौजूद डिप्टी कमिश्नर) ऑफिस नहीं आए तो भी इससे जमीनी हालात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुझे लगता है कि यह उचित मामला है, जहां मैं सरकार से सिफारिश करूंगा कि एमसीडी को भंग कर दिया जाना चाहिए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा- दिल्ली में चीजें ऐसे ही चल रही हैं? कैबिनेट मीटिंग की कोई तारीख नहीं है, स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग की कोई तारीख नहीं है। अगर कैबिनेट और स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग नहीं हो रही है, तो बजट कैसे मंजूर होगा? यह ऐसा है जैसे हम कह रहे हों कि मामले हमारे (अदालत) बिना बैठे ही तय हो जाएंगे। इसके साथ ही अदालत ने डीडीए को भी अपने कार्यों को दर्शाते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।