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यौन शोषण तो महिला भी कर सकती है, पॉक्सो केस में बोला दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाी करते हुए कहा है कि महिला पर भी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) मामले में केस चल सकत है। कानून में किसी तरह की लिंग भेद नहीं है।

यौन शोषण तो महिला भी कर सकती है, पॉक्सो केस में बोला दिल्ली हाईकोर्ट
Sneha Baluniहिन्दुस्तान टाइम्स,नई दिल्लीSat, 10 Aug 2024 10:30 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) मामले में बड़ा फैसला दिया है। अदालत का कहना है कि अधिनियम के तहत पेनिट्रेटिव (जबरन किसी चीज को अंदर डालना) के जरिए यौन हमले के लिए किसी महिला के खिलाफ भी केस चलाया जा सकता है। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 3, जो पेनिट्रेटिव यौन हमले से संबंधित है, उसके दायरे में किसी वस्तु या शरीर के किसी अंग को प्रवेश कराना, या प्रवेश कराने के लिए बच्चे के शरीर के किसी अंग से छेड़छाड़ करना, या मुंह का प्रयोग करना शामिल है, इसलिए यह कहना पूरी तरह से अतार्किक होगा कि इन प्रावधानों के तहत अपराध के लिए केवल पेनिस के जरिए पेनेट्रेशन की बात कही गई है।

15 पेज के आदेश में जस्टिस ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया था। बेशक बच्चे पर अपराध किसी पुरुष या महिला द्वारा किया गया हो। पीठ ने कहा, 'धारा 3(ए), 3(बी), 3(सी) और 3(डी) में प्रयुक्त सर्वनाम ‘वह’ की व्याख्या इस प्रकार नहीं की जानी चाहिए कि उन धाराओं में शामिल अपराध केवल पुरुष तक ही सीमित हो जाए। यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि उक्त प्रावधानों में पेनेट्रेटिव यौन हमले के दायरे में कोई वस्तु या शरीर का अंग डालना, या पेनेट्रेशन के लिए बच्चे के शरीर के किसी अंग से छेड़छाड़ करना या मुंह का इस्तेमाल करना शामिल है।'

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक महिला द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए अधिनियम के दायरे का विस्तार किया, जिसमें शहर की एक अदालत के मार्च 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने महिला के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप तय किए थे। यह मामला 2018 का है। एडवोकेट पीयूष सचदेव के जरिए दायर याचिका में महिला ने तर्क दिया था कि किसी महिला के खिलाफ पेनिट्रेटिव यौन हमला और गंभीर पेनिट्रेटिव यौन हमला का अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता, क्योंकि परिभाषा को सीधे पढ़ने से पता चलता है कि इसमें केवल और बार-बार सर्वनाम 'वह' का प्रयोग किया गया है।