पूजा खेडकर को झटका, अपील पर विचार करने से HC का इनकार; कहा- उचित मंच पर जाएं
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। खेडकर ने यूपीएससी द्वारा उनकी अनंतिम उम्मीदवारी को रद्द करने को चुनौती दी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। खेडकर ने यूपीएससी द्वारा उनकी अनंतिम उम्मीदवारी को रद्द करने और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं और चयन प्रक्रियाओं से स्थायी रूप से वंचित करने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी।
जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने यह कहते हुए कि उनकी याचिका खारिज कर दी कि यह समय से पहले दाखिल की गई है। कोर्ट का कोई भी आदेश क्षेत्राधिकार के बिना होगा। पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए खेडकर को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) से संपर्क करने की आजादी दी।
सुनवाई के दौरान खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंग ने दावा किया कि यूपीएससी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके और बिना कोई सूचना दिए उनके मुवक्किल की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। साथ ही उनकी बात सुने बिना किसी भी परीक्षा में बैठने से रोक दिया था।
जयसिंह ने तर्क दिया कि आयोग ने 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा था। उनके मुवक्किल ने आवेदन देकर नोटिस का जवाब देने के लिए समय बढ़ाने की मांग थी। इस बीच उनके आवेदन को खारिज किए बिना आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति को रद्द करने की मांग की।
जयसिंह ने तर्क दिया कि बिना किसी आदेश के यह उनके मुवक्किल पर थोपा गया है। उन्होंने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति का "डोमिनोज प्रभाव" था क्योंकि इसके परिणामस्वरूप न केवल उनके मुवक्किल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, बल्कि कार्मिक प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। जयसिंह ने यह भी तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल याचिका वापस लेने के लिए तैयार हैं, बशर्ते अदालत उनके मुवक्किल को कैट के पास जाने की आजादी दे।
यूपीएससी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने याचिका आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी, क्योंकि आयोग को खेडकर के ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं थी। कौशिक ने कहा कि एक प्रेस विज्ञप्ति उन सभी के लिए एक नोटिस है, जिनका पता नहीं चल पाया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यूपीएससी अपने आदेश को पूजा के अंतिम ज्ञात पते और उसकी ईमेल आईडी पर सूचित करेगा।
वहीं, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने भी कहा कि खेडकर की याचिका कारण बताओ नोटिस के खिलाफ और समय पूर्व थी। इन तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने खेडकर को उचित मंच से संपर्क करने और बाद में आदेश को सूचित करने की कौशिक की दलील को स्वीकार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।
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