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दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िताओं के गर्भपात के लिए तय किए नए दिशानिर्देश, पुलिस कमिश्नर को भेजी आदेश की कॉपी

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़ित महिला को गर्भपात के अधिकार से वंचित करना और उस पर मातृत्व की जिम्मेदारी थोपना, उसे सम्मान के साथ जीवन जीने के मानवाधिकार से वंचित करने के बराबर होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप पीड़िताओं के गर्भपात के लिए तय किए नए दिशानिर्देश, पुलिस कमिश्नर को भेजी आदेश की कॉपी
Praveen Sharmaनई दिल्ली | हिन्दुस्तानFri, 27 Jan 2023 07:53 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़ित महिला को गर्भपात के अधिकार से वंचित करना और उस पर मातृत्व की जिम्मेदारी थोपना, उसे सम्मान के साथ जीवन जीने के मानवाधिकार से वंचित करने के बराबर होगा। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि एक महिला को मां बनने के लिए ‘हां या ना’ कहने का अधिकार है। साथ ही, कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ के मामले में गर्भपात के लिए नया दिशा-निर्देश भी जारी किया है।

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी एक्ट ) की धारा 3 (2) भी एक महिला के ऐसे अधिकार को दोहराती है।’ उन्होंने कहा कि पीड़िता को उस व्यक्ति के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर करना, जिसने उसका यौन उत्पीड़न किया, यह उसके लिए असहनीय दुख के समान होगा। हाईकोर्ट ने 14 साल की दुष्कर्म पीड़िता को अपने 25 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ‘एक पीड़िता जो अपने गर्भ में इस तरह के भ्रूण को पाल रही होती है, वह हर दिन यह सोचकर कोई भी कांप उठेगा, जब उसे लगातार यौन हमले की याद दिलाई जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि ’ऐसे मामले जहां दुष्कर्म के परिणामस्वरूप पीड़िता गर्भवती हो जाती है, वह और भी दर्दनाक होता है, ऐसे दुखद पल की छाया पीड़िता के साथ हर दिन रहती है’। जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा है कि यह मानसिक पीड़ा है, जिसे एमटीपी अधिनियम द्वारा ध्यान में रखा गया है, जो न केवल गंभीर शारीरिक बल्कि गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर भी चोट देता है।

कोर्ट ने कहा है कि इसलिए एमटीपी एक्ट की धारा 3(2) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि गर्भावस्था को जारी रखने से गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंचती है, तो वह वैध रूप से इसे समाप्त करने की मांग कर सकती है। पीड़िता का एमटीपी के एक्ट के तहत 27 जनवरी को राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में सुरक्षित गर्भपात कराने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि किसी कारणवश पीड़िता का बच्चा जीवित पैदा हो जाता है तो संबंधित डॉक्टर उसे हर संभव बचाने और नर्सरी में विकसित करने का प्रयास करेंगे। इस बारे में रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।

गभर्पात का नया आदेश

हाईकोर्ट ने 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ का गर्भपात क लिए नया दिशा-निर्देश जारी किया है। अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को फैसले की कॉपी भेजने का आदेश देते हुए नए दिशा-निर्देशों को सभी पुलिसकर्मियों को बताने और इसका पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। साथ ही , हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी दो माह के भीतर इसे लागू करने का आदेश दिया है और इस बारे में कोर्ट को अवगत कराने को कहा है।

हक-हुकूक के बारे में बताए विधिक सेवा प्राधिकरण

हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण को अपने सभी जिला सचिव के जरिये लोगों को उनके हक-हुकूक के बारे में बताने के लिए कहा है। कोर्ट ने विधि छात्रों, स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के जरिये विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्माण स्थलों सहित अन्य जगहों पर जाकर लोगों को शिक्षा के अधिकार के बारे में बताने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पीड़िता स्कूल में जाने की इच्छा के बावजूद शिक्षा पाने से वंचित रह गई। हाईकोर्ट ने कहा है कि इससे जाहिर होता है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में अधिकांश लोगों को पता भी नहीं है। लोगों को उनके अधिकार के बारे में बताना जरूरी है।

ये दिशा-निर्देश दिए

● केंद्र व दिल्ली सरकार को राजधानी के सभी अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है, जहां एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात की सुविधा है। गर्भपात के लिए फिलहाल दिल्ली के एम्स, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग हॉस्पिटल में मेडिकल बोर्ड है।

● जांच अधिकारी को यौन उत्पीड़न के मामले में पीड़िता का मेडिकल जांच के दौरान यूरिन टेस्ट कराने और पता लगाने का निर्देश दिया कि वह कहीं गर्भवती तो नहीं।

● यौन उत्पीड़न की वजह से गर्भवती पाए जाने पर पीड़िता से पूछा जाएगा कि वह गर्भपात कराना चाहती है या नहीं।

● पीड़िता की सहमति होती है तो उसे तुरंत संबंधित अस्पतालों के मेडिकल बोर्ड के समक्ष गर्भपात के लिए पेश किया जाएगा।

● पीड़िता नाबालिग होने पर उसके अभिभावक से पूछा जाएगा कि गर्भपात करना है या नहीं।

● यदि वह गर्भपात की इच्छा जाहिर करती है तो उसे मेडिकल बोर्ड में पेश किया जाएगा और उसका सुरक्षित गर्भपात कराया जाएगा।

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