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दिल्ली के खैबर पास के 112 घरों पर नहीं चला बुलडोजर, कोर्ट ने लगाई रोक; कब तक राहत

दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित खैबर पास के लोगों को लिए राहत भरी खबर है। यहां के 112 घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। यहां शनिवार को कारर्वाई होना था।

दिल्ली के खैबर पास के 112 घरों पर नहीं चला बुलडोजर, कोर्ट ने लगाई रोक; कब तक राहत
Subodh Mishraलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSun, 04 Aug 2024 02:46 PM
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दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित खैबर पास के लोगों को लिए राहत भरी खबर है। यहां के 112 घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है।

सिविल लाइंस में खैबर पास में 250 से अधिक घरों को पहली बार 16 जुलाई को ध्वस्त कर दिया गया था। अधिकारियों ने घोषणा की थी कि शेष 112 आवासों को शनिवार को ध्वस्त कर दिया जाएगा। यहां के निवासियों को तब राहत मिली जब उन्हें यह खबर मिली कि दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें घर खाली करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है।

इन लोगों में राष्ट्रीय पिस्टल शूटिंग कोच समरेश जंग भी शामिल थे, जो गुरुवार को पेरिस ओलंपिक से लौटे थे। वहां उन्होंने निशानेबाज मनु भाकर और सरबजोत सिंह को जीत दिलाई थी। उन्होंने कहा, "हम कभी भी घर खाली करने के विरोध में नहीं थे। हम केवल उस जल्दबाजी के विरोध में थे, जिसमें हमें छोड़ने के लिए कहा जा रहा था। एक दिन में अपना सारा सामान पैक करना वास्तव में मुश्किल हो रहा था। यह अच्छा है कि हम अब सम्मानपूर्वक घर खाली कर सकते हैं।"

वहीं एक अन्य निवासी शामली यादव ने कहा, “हमने अपना सारा सामान पैक कर लिया है, लेकिन हमारे पास जाने के लिए जगह नहीं है। यह राहत की बात है कि अब हमारे पास जगह तलाशने के लिए अधिक समय है।" एक अन्य निवासी रविंदर जुनेजा ने कहा, "हम पिछले 53 वर्षों से यहां रह रहे हैं। मेरे परिवार की दो पीढ़ियां यहां रह रही हैं। यहां से जाना मुश्किल है। लेकिन, हम उच्च न्यायालय के फैसले से खुश हैं।"

इस साल की शुरुआत में 10 याचिकाकर्ताओं ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि और विकास कार्यालय (एल एंड डीओ) द्वारा जारी 1 मार्च के नोटिस को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें खैबर पास की 32 एकड़ जमीन पर कब्जा करने वालों को 4 मार्च तक कब्जा खाली करने और अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया था।

हालांकि, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की कोर्ट ने 9 जुलाई के फैसले में इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन उन्होंने एलएंडडीओ नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे वैध कब्जेदार हैं। उनके पिता या दादाओं को लगभग 70 साल पहले आवास आवंटित किए गए थे, जब यह रक्षा मंत्रालय के कब्जे में था। 

याचिकाकर्ता संजय कुमार और अन्य ने तब एकल जज के फैसले के खिलाफ अपील करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की  डिवीजन बेंच का रुख किया था। डिवीजन बेंच ने 29 जुलाई के फैसले में एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा। इसमें कहा गया है कि एलएंडडीओ की कार्रवाई को अवैध या असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता है।

इसके बाद 22 याचिकाकर्ताओं के एक अन्य समूह ने बेदखली की नोटिस को चुनौती देते हुए 29 जुलाई को हाई कोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें मानवीय आधार पर दो महीने का समय दिया जाए। उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने के साथ-साथ मानसून के मौसम को देखते हुए समय चाहिए। 112 निवासियों को जस्टिस संजीव नरूला की अदालत ने राहत दी है। अदालत ने निर्देश दिया कि 112 निवासियों को हलफनामे पर एक वचन देना होगा कि वे 30 सितंबर तक अपने परिसर खाली कर देंगे।