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यौन उत्पीड़न की शिकार 13 साल की नाबालिग को गर्भपात कराने की मिली इजाजत, HC का फैसला

अदालत ने इस बात पर गौर किया कि पीड़िता यौन उत्पीड़न की शिकार है। अदालत ने इस दौरान कहा कि गर्भपात कराने के दौरान सभी तरह के खर्च केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उठाएगा।

यौन उत्पीड़न की शिकार 13 साल की नाबालिग को गर्भपात कराने की मिली इजाजत, HC का फैसला
Nishant Nandanपीटीआई,नई दिल्लीTue, 31 Jan 2023 08:28 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन प्रताड़ना की शिकार 13 साल की एक लड़की को गर्भपात करवाने की इजाजत दे दी है। मंगलवार को अदालत ने लड़की की जिंदगी और उसकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 25 हफ्ते के गर्भ को हटाने की अनुमति दे दी है। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम बुधवार को इस संबंध में चिकित्सीय प्रक्रिया करेगी। 

लड़की और उसकी मां ने अदालत को बतलाया था कि प्रेग्नेंसी को आगे नहीं रखना चाहती है। जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला दिया है। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि नाबालिग लड़की की जिंदगी, उसकी शिक्षा और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हैं यह लड़की के पक्ष में होगा। कल सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों की टीम इस संबंध में चिकित्सीय प्रक्रियाओं को करेगी। 

अदालत ने कहा कि चिकित्सकों ने यह सुनिश्चित किया है कि लड़की के गर्भ को हटाने के दौरान उसे बेहतरीन चिकित्सीय सुविधा दी जाएगी। भ्रूण के नमूने को भविष्य में इस केस में जांच के लिए सुरक्षित भी रखा जा सकेगा। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि पीड़िता यौन उत्पीड़न की शिकार है। अदालत ने कहा कि गर्भपात कराने के दौरान सभी तरह के खर्च केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उठाएगा। सुनवाई के दौरान नाबालिग का परीक्षण करने वाली चिकित्सकों की टीम से भी अदालत ने बातचीत की।

चिकित्सकों ने जज से कहा कि अगर लड़की प्रेग्नेंसी को जारी रखती है या फिर उसे हटाती भी है तो उसकी जिंदगी को खतरा है।  अदालत ने कहा कि वो अभी महज 13 साल की है। वो इस उम्र में गर्भ के साथ कैसे रहेगी। अदालत को बताया गया है कि गर्भ को रखने और उसे हटाने, दोनों में ही खतरा है। 

लड़की ने जो याचिका अदालत में लगाई थी उसके मुताबिक, 18 जनवरी को उसे अल्ट्रासाउंड के लिए ले जाया गया था। इसमें पता चला था कि वो 23 हफ्ते और 6 दिन की गर्भवती है। इसके बाद परिवार सफदरजंग अस्पताल गया था। जिसके बाद पॉक्सो एक्ट की धारा में केस दर्ज किया गया था। चिकित्सकों ने जब गर्भपात करने से इनकार कर दिया था तब पीड़िता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 

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