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कोविड-19 दवाओं का अवैध भंडारण मामला, गौतम गंभीर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गौतम गंभीर और उनके फाउंडेशन और अन्य के खिलाफ कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली दवाओं के कथित अवैध भंडारण और वितरण से संबंधित एक मामले में...

कोविड-19 दवाओं का अवैध भंडारण मामला, गौतम गंभीर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक
नई दिल्ली। भाषाTue, 21 Sep 2021 11:45 AM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गौतम गंभीर और उनके फाउंडेशन और अन्य के खिलाफ कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली दवाओं के कथित अवैध भंडारण और वितरण से संबंधित एक मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी।

जस्टिस रजनीश भटनागर ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, गंभीर और अन्य आरोपियों की याचिका पर मामले में निचली अदालत द्वारा पारित समन आदेश को लेकर दिल्ली औषधि नियंत्रण प्राधिकरण से जवाब मांगा है। मामले को आगे की सुनवाई के लिए आठ दिसंबर को सूचीबद्ध करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि तब तक कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है। 

औषधि नियंत्रण विभाग ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, इसकी सीईओ अपराजिता सिंह, अपराजित सिंह, सीमा गंभीर, गौतम गंभीर और नताशा गंभीर के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून की धारा 18 (सी) के साथ धारा 27 (बी) (दो) के तहत मामला दर्ज कराया है। आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक प्रवीण कुमार और इमरान हुसैन के खिलाफ भी आरोप लगाते हुए दो अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।

धारा 18 (सी) के तहत बिना लाइसेंस के दवाओं के निर्माण, बिक्री वितरण पर प्रतिबंध है और धारा 27 (बी) (दो) के तहत वैध लाइसेंस के बिना बिक्री, वितरण पर तीन साल की सजा का प्रावधान है, जिसे पांच तक बढ़ाया जा सकता है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता क्योंकि फाउंडेशन एक चिकित्सा शिविर के माध्यम से मुफ्त कोविड-19 रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं वितरित कर रहा था और यह एक स्वीकृत तथ्य है कि दवाओं की बिक्री नहीं की जा रही थी। औषणि नियंत्रण विभाग की ओर से पेश वकील नंदिता राव ने कहा कि ऐसी दवाओं के कारोबार के लिए लाइसेंस जरूरी है और कानून बिक्री और वितरण के बीच अंतर नहीं करता है।

वकील जय अनंत देहाद्रई के जरिए दाखिल अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि एक अभूतपूर्व आपदा के दौरान परोपकारी गतिविधि के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती और ऐसे कृत्यों के लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू करना न्याय का मजाक होगा।

निचली अदालत ने कहा था कि शिकायतकर्ता प्रथमदृष्टया अपराध साबित करने में सक्षम प्रतीत होता है। निचली अदालत ने 26 जुलाई के अपने आदेश में दर्ज किया था कि अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि गौतम गंभीर और फाउंडेशन के अन्य लोगों ने 22 अप्रैल से 18 मई 2021 तक आयोजित एक चिकित्सा शिविर के दौरान कथित तौर पर फेविपिरावीर टैबलेट और मेडिकल ऑक्सीजन का भंडारण और वितरण किया था। पिछले महीने निचली अदालत ने फाउंडेशन के खिलाफ मामले को आगे की सुनवाई के लिए सात फरवरी 2022 को सूचीबद्ध किया था।  

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