पंजीकरण रद्द करने का अधिकार रजिस्ट्रारों को देने वाला 'आप' का सर्कुलर रद्द
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया है जिसमें रजिस्ट्रारों को दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार प्रदान किया गया था। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह...
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया है जिसमें रजिस्ट्रारों को दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार प्रदान किया गया था। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पास ऐसे अधिकार नहीं हैं।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी.के. राव की बैंच ने 13 जुलाई 2016 के दिल्ली सरकार के सर्कुलर को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह 1908 के पंजीकरण कानून का उल्लंघन है। सर्कुलर में रजिस्ट्रार को अधिकार दिया गया था कि अगर यह पाया गया कि किसी दस्तावेज का पंजीयन धोखाधड़ी से किया गया है तो वह पंजीकरण रद्द कर सकता है।
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, सर्कुलर को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि पंजीकरण कानून की धारा 82 के तहत रजिस्ट्रारों के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है। कानून के तहत दस्तावेज को पंजीकृत कराते समय झूठा बयान या गलत सामग्री देने पर सात साल जेल की सजा या जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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बैंच ने कहा कि सत्य पाल आनंद (सुप्रा) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजीकरण कानून की धारा 82 के तहत रजिस्ट्रारों को ऐसी शक्ति नहीं है कि वह किसी दस्तावेज का पंजीकरण रद्द करे। यह फैसला एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एरेनेस फाउंडेशन की जनहित याचिका पर आया है। इस याचिका में सर्कुलर को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि मौजूदा कानून के तहत रजिस्ट्रार को पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं है।
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