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दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर के भाई को दी मनपसंद अस्पताल में इलाज कराने की छूट, ये होगी शर्त

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर को कस्टोडियल पैरोल में रहते हुए इलाज कराने के लिए उनकी पसंद का अस्पताल तय करने का समय...

दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर के भाई को दी मनपसंद अस्पताल में इलाज कराने की छूट, ये होगी शर्त
नई दिल्ली। एएनआईFri, 14 Aug 2020 12:10 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर को कस्टोडियल पैरोल में रहते हुए इलाज कराने के लिए उनकी पसंद का अस्पताल तय करने का समय दिया है।

जस्टिस विभु बाखरू ने अतुल की ओर से पेश वकील को यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि वह कोई निजी अस्पताल चुनता है, तो उसे इसका खर्च खुद ही वहन करना होगा। 10 साल की जेल की सजा काट रहे अतुल सिंह सेंगर ने उनकी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज कराने और कानपुर में सर्जरी कराने के लिए आठ सप्ताह की पैरोल मांगी गई थी। 

उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 13 मार्च को एक ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सेंगर, उनके भाई अतुल और पांच अन्य को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। बलात्कार पीड़िता के पिता की 9 अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। अदालत ने इस मामले में निष्कासित बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।

जांच एजेंसी सीबीआई ने 13 जुलाई, 2018 को सेंगर और अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने कहा था कि 3 अप्रैल, 2018 को पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह के बीच विवाद हुआ था। पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गांव माखी लौट रहे थे और शशि प्रताप सिंह से लिफ्ट मांगी, लेकिन उसने इनकार कर दिया। इसके बाद शशि प्रताप ने ने अपने साथियों को भी वहां बुला लिया और पीड़िता के पिता पर हमला कर दिया।

विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर भी उस समूह का हिस्सा थे जिन्होंने पीड़िता के पिता और उसके साथी पर हमला किया था। इसके बाद में, पीड़िता के पिता को थाने ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि कुलदीप सेंगर जिला पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी भदौरिया के संपर्क में था।

सीबीआई ने 13 जुलाई 2018 को मामले में एक चार्जशीट दायर की। इसके बाद, सेंगर, उनके भाई अतुल, माखी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, सब-इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, कॉन्स्टेबल आमिर खान और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किए गए। 

पिछले साल 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट से मामला दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया था। इस मामले में दिसंबर 2019 में, सेंगर को दोषी ठहराया गया था और उसे 2017 में उन्नाव में नाबालिग से बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 

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