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हिंदी न्यूज़ NCRअपने पहले बजट भाषण को लेकर डरे हुए थे कैलाश गहलोत? दिल्ली के बजट से जुड़ी बताई हर बात

अपने पहले बजट भाषण को लेकर डरे हुए थे कैलाश गहलोत? दिल्ली के बजट से जुड़ी बताई हर बात

वित्त मंत्री गहलोत ने बताया कि बजट का मतलब सरकार को एक उद्देश्य देना व उसके लिए पैसे का इंतजाम करना है। वर्ष 2015 में हमारा ध्यान शिक्षा पर था। हम हर साल एक लक्ष्य पर केंद्रित बजट पेश करते हैं।

अपने पहले बजट भाषण को लेकर डरे हुए थे कैलाश गहलोत? दिल्ली के बजट से जुड़ी बताई हर बात
Praveen Sharmaनई दिल्ली। बृजेश सिंहFri, 24 Mar 2023 06:53 AM
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शिक्षा, स्वास्थ्य के बाद केजरीवाल सरकार की योजना साफ, स्वच्छ और आधुनिक दिल्ली बनाने की है। वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट इसी बुनियादी ढांचे को ठीक करने के लिए बनाया गया है। सड़कों के पुनर्विकास, इलेक्ट्रिक बस लाना और कूड़े के पहाड़ खत्म करना मकसद है, लेकिन सरकार की सबसे बड़ी चिंता इन योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए राजस्व को लेकर है। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी खत्म हो गई है। जीएसटी का कलेक्शन भी उम्मीद से कम है। बजट के कुछ खास पहलुओं को लेकर वित्त मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) और हिन्दुस्तान के प्रमुख संवाददाता बृजेश सिंह के बीच बातचीत के अंश...

● पहला बजट पेश करने को लेकर कोई डर था। अचानक मिली जिम्मेदारी, आप को लगता है कि थोड़ा और समय मिलता तो बेहतर रहता?

कोई डर तो नहीं कह सकते, लेकिन थोड़ा अंदर से फीलिंग रहती है। क्योंकि मैं वकील हूं तो हर केस में हमें डर रहता है क्या होगा? वो कोई बुरी बात नहीं है, जहां तक समय की बात है तो मुझे लगता है कि मैंने अपनी ओर से अच्छा दिया है। थोड़ा समय और मिलता तो बेहतर होता, यह गुंजाइश हमेशा रहती है।

● बजट के इतिहास में बहुत लंबा भाषण 2 घंटे 27 मिनट बोले?

मुझे लगता है कि इतने लंबे भाषण के लिए मेरा वकील का पेशा एक कारण रहा है। मैं एक प्रशिक्षित वकील हूं। जब हम बोलना शुरू करते हैं और आपके जहन में जो चीजें होती हैं, वह फ्लो में चलता रहता है। केस तो कई बार पांच-पांच घंटे तक चल जाता है।

● मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के क्या निर्देश थे, जब आपको यह जिम्मेदारी मिली। बजट में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की झलक है या आप की?

मुख्यमंत्री ने कहा था कि आम आदमी के लिए जो व्यवस्थाएं हैं वो चलती रहनी चाहिए, जो योजनाएं लॉन्च की हैं वो चलती रहनी चाहिए। उसके अलावा हमें और विभागों की योजनाओं को मजबूत करना है। दिल्ली को अच्छा बनाना है। उसी को हमने बजट में रखा है। हम सभी केजरीवाल के नेतृत्व में एक साझे लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।

● सभी ने महसूस किया कि इस बजट में मोहल्ला बस के अलावा कुछ नया नहीं है। बुनियादी ढांचे की योजनाएं पहले से चल रही हैं?

आप कोई एक शहर बताएं, जिसने इतनी समग्र योजना दी हैं। बजट का मतलब सरकार को एक उदेश्य देना व उसके लिए पैसे का इंतजाम करना है। वर्ष 2015 में हमारा ध्यान शिक्षा पर था। तब ऐसा नहीं था कि दूसरे विभाग काम नहीं कर रहे हैं। थोड़े समय बाद स्वास्थ्य को ठीक किया। किसी काम को एक साल में नहीं कर सकते हैं। स्कूल की इमारत बना रहे हैं तो एक साल में नहीं बनेगी। उसके लिए हमें अगले साल बजट में फिर पैसा देना पड़ेगा। हम हर साल एक लक्ष्य पर केंद्रित बजट पेश करते हैं।

● बजट में आपने नौ सूत्रीय समग्र योजना दी है। दिल्ली में मल्टी एजेंसी व्यवस्था है, उसमें समन्वय कैसे बैठाएंगे?

बिल्कुल है, हम उसे कैसे ठीक कर सकते हैं। यह हमारे हाथ में नहीं है कि हम उसे खत्म दें। जैसे एनडीएमसी इलाका है, हम वहां कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन अपनी तरफ से तालमेल बढ़ा सकते हैं। जिसे जो सहायता चाहिए, बतौर सरकार हम देंगे।

● योजनाओं को चलाने के लिए पैसा चाहिए। केंद्रीय करों में कटौती हुई है। जीएसटी संग्रहण भी उम्मीद से कम है, कैसे करेंगे?

मैंने बजट में ये कहा है कि हमारी जो बड़ी-बड़ी योजनाएं हैं उनके लिए राजस्व संग्रहण उस तरह से नहीं है, जैसे होना चाहिए। यह सिर्फ दिल्ली के नहीं है, दूसरे राज्य भी उसी दौर से गुजर रहे हैं। हम कोशिश करेंगे कि जीएसटी को बढ़ाएंगे। हमारा राजस्व का सबसे बड़ा स्त्रत्तेत जीएसटी है, जिसे 14 फीसदी की दर से सुनिश्चित किया था कि बढ़ेगा, लेकिन नहीं बढ़ा। केंद्र सरकार केंद्रीय करों में 325 करोड़ रुपये देती थी, लेकिन अब वह भी नहीं दे रही है। केंद्र ने जीएसटी लागू करते समय जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया है। पैसा जुटाना हमारे लिए चुनौती है, लेकिन हम उसके लिए काम कर रहे हैं। इस बार हमने 31 हजार 500 करोड़ जीएसटी संग्रहण का लक्ष्य रखा है, उसे पूरा करेंगे।

● आबकारी राजस्व लक्ष्य घटा दिया। वर्ष 2022-23 में 9500 करोड़ था और इस बार 7000 करोड़ है, क्यों?

बिल्कुल हुआ है, अगर नई शराब नीति जो लागू की गई थी वह चलती रहती तो राजस्व भी बढ़ता। पुरानी नीति लागू होने से ऐसा हुआ है।

● रोजगार बजट का जिक्र ना तो आउटकम बजट में दिखा और ना ही बजट में नजर आया?

बिल्कुल नहीं हो पाया है, उसके लिए यही कारण है कि उसमें ज्यादातर व्यवस्थाएं एमसीडी को करनी थी। बाजारों का पुनर्विकास हो या फूड ट्रक नीति हो या फिर क्लाउड किचन। एमसीडी ने हमें सहयोग नहीं किया, लेकिन अब हमें बेहतर समर्थन मिल सकता है तो रोजगार योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। फिल्म फेस्टिवल से लेकर बाजारों के पुनर्विकास का काम होगा।

● सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है, मगर मेट्रो फेज-4 के तीन शेष कॉरिडोर को कब मंजूरी मिलेगी?

परिवहन विभाग की ज्यादातर योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। ई-बस आने वाली हैं। मोहल्ला बस जल्द चलाएंगे। मल्टी लेवल बस डिपो बना रहे हैं। आईएसबीटी पर हवाई अड्डे जैसी सुविधाएं मिलेगी। मेट्रो फेज-4 की शेष तीन लाइनों की बात है तो दिल्ली सरकार ने तीनों कॉरिडोर को मंजूरी दे दी है। अब उसके बारे में केंद्र बताएगा।

● आपने जल बोर्ड समेत कई विभागों का बजट कम कर दिया?

मेरा सुझाव है कि आप जब भी यह देंखे कि बजट कम या ज्यादा हो गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि योजना बंद हो गई है। अगर कोई योजना बनी और वह पूरी हो गई है तो उस मद का बजट कम हो जाता है। जैसे कच्ची कॉलोनियों में पानी की लाइन डालनी थी। हमने डाल दी तो अब पाइपलाइन डालने के लिए पैसे नहीं चाहिए। वो एक वजह है कि बजट घट गया। विभागों को जो पैसा चाहिए था, वह हमने दिया है। उसमें कोई कटौती नहीं की।

'आप' सरकार के लिए बजट का मतलब

वित्त मंत्री गहलोत ने बताया कि बजट का मतलब सरकार को एक उद्देश्य देना व उसके लिए पैसे का इंतजाम करना है। वर्ष 2015 में हमारा ध्यान शिक्षा पर था। तब ऐसा नहीं था कि दूसरे विभाग काम नहीं कर रहे थे। थोड़े समय बाद स्वास्थ्य को ठीक किया। हम हर साल एक लक्ष्य पर केंद्रित बजट पेश करते हैं।