1984 के सिख विरोधी दंगे : सज्जन कुमार की पेशी के लिए कोर्ट ने जारी किया वारंट
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के एक मामले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को 28 जनवरी को अदालत में पेश करने के लिए मंगलवार को...
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के एक मामले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को 28 जनवरी को अदालत में पेश करने के लिए मंगलवार को वारंट जारी किया।
जिला न्यायाधीश पूनम ए. बांबा ने सज्जन कुमार की पेशी को लेकर यह वारंट तब जारी किया जब जेल के अधिकारी उन्हें मंगलवार को पेश नहीं कर पाए। सज्जन कुमार दंगों के एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से ही मंडोली जेल में बंद हैं।
1984 anti-Sikh riots: Production warrant issued against Sajjan Kumar in connection with Sultanpuri case. Next date of hearing is 28 January. (file pic) pic.twitter.com/wICJMbwcU7
— ANI (@ANI) January 22, 2019
निचली अदालत में चल रहे इस दूसरे मामले में तीन व्यक्तियों- सज्जन कुमार, ब्रह्मानंद गुप्ता और वेद प्रकाश पर दंगे भड़काने एवं हत्या के आरोप हैं। इन सभी पर ये आरोप सुल्तानपुरी में सुरजीत सिंह की हत्या के संबंध में तय किए गए हैं।
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत 17 दिसंबर को 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने सज्जन कुमार को निर्देश दिया था कि वह 31 दिसंबर तक सरेंडर कर दें, लेकिन सज्जन कुमार ने 20 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी देकर सरेंडर करने के लिए 31 जनवरी तक का समय मांगा था। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पारिवारिक कामकाज खत्म करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।
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अदालत ने सज्जन कुमार की आत्मसमर्पण के लिए और वक्त मांगने संबंधी अर्जी 21 दिसंबर को अस्वीकार कर दी थी। इसके बाद कुमार ने मामले में ताउम्र कैद की सजा के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
यह मामला 1984 दंगों के दौरान एक-दो नवम्बर को दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालम कॉलोनी में राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में सिख परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आगे लगाने से जुड़ा है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 दंगों के दौरान 2700 से अधिक सिख राजधानी दिल्ली में मारे गए जो कि वास्तव में अविश्वसनीय नरसंहार था। अदालत ने कहा था ये दंगे "राजनीतिक संरक्षण" प्राप्त लोगों द्वारा "मानवता के खिलाफ अपराध" थे।
अदालत ने यह भी कहा था कि बंटवारे के बाद से 1993 में मुंबई, 2002 में गुजरात और 2013 में मुजफ्फरनगर के नरसंहार में एक जैसी स्थिति है और सभी में एक बात समान है - कानून लागू करने वाली एजेंसियों की मदद से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों द्वारा ''अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना। उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए सज्जन कुमार को बरी करने का निचली अदालत का निर्णय रद्द कर दिया था।