1000 मरीजों के लिए केवल 6 डॉक्टर, 17 नर्स और 50 ANM; दिल्ली के शेल्टर होम में नहीं है पर्याप्त स्टाफ
दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम में स्टाफ की भारी कमी है। एक हजार मरीजों की देखभाल के लिए केवल छह डॉक्टर, 17 नर्स और 50 एएनएम हैं। जबकि स्वीकृत पदों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम में 14 मरीजों की मौत का मामला लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है। सरकार द्वारा संचालित शेल्टर होम में आधा दर्जन डॉक्टर, 17 नर्स, 50 सहायक नर्स और दाई (एएनएम) पेशेवर लगभग 1,000 कैदियों की देखभाल कर रहे हैं। यह मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बनाया गया शेल्टर होम है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस साल अब तक कम से कम 25 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से 14 मरीजों की मौत जुलाई में हुई।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शनिवार को इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए चार हफ्ते के अंदर मौतों पर रिपोर्ट मांगी है। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना के बीच 2012 बैच के दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (दानिक्स) अधिकारी राहुल अग्रवाल की नियुक्ति को लेकर तकरार चल रही है। जो 2016 में रिश्वत मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पांच साल तक निलंबित रहे थे।
सरकारी सूत्रों ने मौतों की जांच के शुरुआती निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा कि रोहिणी स्थित होम में स्वीकृत और वास्तविक कर्मचारियों की संख्या में साफतौर पर भारी गैप था। एक अधिकारी ने बताया, '2013 में तत्कालीन उपराज्यपाल के आदेश के बाद इस शेल्टर होम में 10 डॉक्टरों, 249 नर्सों और 62 एएनएम के पद सृजित किए गए थे। हालांकि, वर्तमान में 1,000 कैदियों की देखभाल के लिए केवल छह डॉक्टर, 17 नर्सिंग स्टाफ और 50 एएनएम हैं। कई मेडिकल स्टाफ के पद भी खाली पड़े हैं।'
अधिकारियों के अनुसार, शेल्टर होम में करीब 400 मरीजों को रखा जा सकता है। शुक्रवार को शेल्टर होम में मौत की खबरें सामने आने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल सक्सेना और राजस्व मंत्री आतिशी ने शेल्टर होम में रहने वाले लोगों की देखभाल की गुणवत्ता और पोषण संबंधी जरूरतों से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाए थे। शनिवार को, आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सक्सेना पर 'भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों' के बावजूद आशा किरण में प्रमुख अधिकारियों को निलंबित करने में विफल रहने का आरोप लगाया, साथ ही कहा कि 'सर्विस' उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा की पीटीशन कमेटी, जिसमें आप के चुनिंदा विधायक शामिल हैं, ने घटना की जांच करने का प्रयास किया था, लेकिन प्रशासन ने उसे रोक दिया, जो अब तक मरीजों की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी कर रहा है। वहीं एलजी हाउस के अधिकारियों ने पलटवार करते हुए कहा कि समाज कल्याण विभाग का शेल्टर होम पर नियंत्रण है। यह मामला पूरी तरह से दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है।