शेल्टर होम के अधिकारी पर तकरार, आप ने पूछा क्यों दी बड़ी जिम्मेदारी? LG ने झाड़ा पल्ला
दिल्ली में आशा किरण शेल्टर होम के एक अधिकारी को लेकर आप और एलजी में तकरार चल रही है। आप ने पूछा है कि जिसे रिश्वत लेते हुए पकड़ा था उसे जिम्मेदारी क्यों दी। राजनिवास ने इसपर पलटवार किया।
दिल्ली में रोहिणी के आशा किरण आश्रय में रहने वाले 14 लोगों की जुलाई में मौत हुई थी। आम आदमी पार्टी ने शनिवार को इस मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने पर एलजी को घेरा है। आप नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और तैनाती से लेकर कार्रवाई का अधिकार एलजी के पास है, फिर उनपर कार्रवाई नहीं हुई है। वे कब हटाए जाएंगे।
पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आशा किरण होम में मानसिक तौर पर कमजोर लोग रहते है, जिन्हें घर वाले छोड़ चुके होते हैं। ऐसे लोगों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि घटना के दो दिन बाद भी आशा किरण आश्रय के प्रशासक राहुल अग्रवाल और समाज कल्याण विभाग के सचिव विनोद कावले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वहीं, दूसरी पत्रकारवार्ता में दुर्गेश पाठक ने कहा कि जब किसी अधिकारी की तैनाती किसी पद पर होती है तो उसकी विजिलेंस रिपोर्ट लगती है। राहुल अग्रवाल की तैनाती के दौरान विजिलेंस ने रिपोर्ट लगाई होगी। उसमें बताया गया होगा कि वह पांच साल रिश्वत के एक मामले में निलंबित रहे हैं। उसके बाद भी उन्हें संवेदनशील पद पर तैनाती क्यों दी गई।
‘नियुक्ति में एलजी की भूमिका नहीं’: राजनिवास
राज निवास के आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को कहा कि आशा किरण होम के प्रशासक को आंतरिक रूप से समाज कल्याण विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था। जो कि पूरी तरह से मुख्यमंत्री व मंत्री के नियंत्रण के विषय हैं। उन्हें एलजी द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था। राजनिवास ने कहा कि तत्कालीन एलजी की मंजूरी के बाद फरवरी 2021 में उन्हें दानिक्स अधिकारी के रूप में समाज कल्याण विभाग में तैनात किया गया था। राजनिवास ने इस संबंध में आम आदमी पार्टी द्वारा जारी बयान को पूरी तरह से गलत और भ्रामक बताया।
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