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श्रीनगर से सात गुना ज्यादा प्रदूषित दिल्ली और गाजियाबाद की हवा

कश्मीर के श्रीनगर से राजधानी दिल्ली और गाजियाबाद की हवा सात गुना ज्यादा प्रदूषित है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सीएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक इस जाड़े के सीजन में पूरे उत्तर भारत में श्रीनगर की हवा...

श्रीनगर से सात गुना ज्यादा प्रदूषित दिल्ली और गाजियाबाद की हवा
Shivendra Singh प्रमुख संवाददाता, नई दिल्लीWed, 16 March 2022 12:20 PM
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कश्मीर के श्रीनगर से राजधानी दिल्ली और गाजियाबाद की हवा सात गुना ज्यादा प्रदूषित है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सीएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक इस जाड़े के सीजन में पूरे उत्तर भारत में श्रीनगर की हवा सबसे ज्यादा साफ-सुथरी रही। जबकि, गाजियाबाद के लोगों को सबसे ज्यादा जहरीली हवा मे सांस लेना पड़ा। 

प्रदूषण की रोकथाम के तमाम उपायों के बावजूद दिल्ली-एनसीआर के लोगों को प्रदूषण से भरी जहरीली हवा से राहत नहीं मिल रही है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिदिन जारी होने वाले डाटा का विश्लेषण करके सीएसई ने देश भर के प्रदूषण पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें 15 अक्तूबर 2021 से लेकर 28 फरवरी 2022 तक के प्रदूषण डाटा का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी समयावधि में श्रीनगर का औसत पीएम 2.5 का स्तर 26 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। जबकि, गाजियाबाद में यह स्तर 178 और दिल्ली में 170 पर रहा। किसी एक दिन में प्रदूषण का सर्वाधिक स्तर को अगर देखें तो यहां भी श्रीनगर की तुलना में गाजियाबाद और दिल्ली में बहुत ज्यादा प्रदूषण दिखाई पड़ता है। श्रीनगर में किसी एक दिन में प्रदूषण का सर्वाधिक स्तर 75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक गया था। जबकि, गाजियाबाद में यह 647 और दिल्ली में 515 के स्तर पहुंचा था।

सीएसई की अर्बन डाटा एनेलिटिक लैब में कार्यक्रम प्रबंधक अविकल सोमवंशी बताते है कि प्रदूषण पर रीयल टाइम डाटा की उपलब्धता के साथ ही अब अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदूषण के ट्रेंड को जानना और विश्लेषित करना संभव हो गया है। इससे संबंधित क्षेत्रों में प्रदूषण की रोकथाम में मदद मिल सकती है। 

मानसून की देरी और पराली के धुएं से बढ़ा प्रदूषण
उत्तर भारत में मानसून की देरी और पराली के धुएं के चलते लोगों को जाड़े के मौसम में भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ा। मानसून की देर से वापसी के चलते इस बार पराली जलाने का क्रम भी देर से शुरू हुआ। जब पराली का धुआं अपने पीक पर पहुंचा था उन्हीं दिनों मे दीपावली भी थी। इन दोनों ही कारकों के मिलन से नवंबर और दिसंबर के महीने में लोगों को सबसे ज्यादा जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ी। 

जनवरी में मिली थोड़ी राहत
इस बार जनवरी के महीने में रिकार्ड तोड़ बारिश हुई। इसके चलते लोगों को प्रदूषण से हल्की राहत मिली। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत के शहरों में औसत तौर पर पिछले साल के मुकाबले में प्रदूषण के स्तर में 11 फीसदी की कमी आई है। जबकि, दिल्ली-एनसीआर के शहरों में यह कमी आठ प्रतिशत तक की रही है। लेकिन, इस सुधार में जनवरी के महीने में हुई बारिश की भूमिका सबसे ज्यादा रही है।

सीएसई (शोध व परामर्श) के कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधुरी ने बताया कि आंकड़ों के विश्लेषण से यह साफ पता चलता है कि जाड़े का प्रदूषण किसी एक क्षेत्र या बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा है। यह पूरे देश के स्तर की समस्या बन गया है। इसलिए देश के स्तर पर ही इसके लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है। खासतौर पर वाहन, उद्योग, विद्युत संयंत्र और ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

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