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दिल्ली में प्रदूषण के चलते निर्माण-ध्वस्तीकरण पर पाबंदियां, किन कार्यों पर रोक, कौन से काम दायरे से बाहर

Delhi air pollution: प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर फिर से पाबंदी लगा दी गई है। आवश्यक परियोजनाओं को इस पाबंदी के दायरे से बाहर रखा गया है।

दिल्ली में प्रदूषण के चलते निर्माण-ध्वस्तीकरण पर पाबंदियां, किन कार्यों पर रोक, कौन से काम दायरे से बाहर
Krishna Singhहिंदुस्तान,नई दिल्लीMon, 05 Dec 2022 02:27 AM

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प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर फिर से पाबंदी लगा दी गई है। आवश्यक परियोजनाओं को इस पाबंदी के दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि, उन्हें भी धूल नियंत्रण के लिए जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। राजधानी दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए रविवार को केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा गठित ग्रैप समिति की बैठक आयोजित की गई। इसमें प्रदूषण की फिलहाल स्थिति, मौसम के कारकों और प्रदूषण को लेकर पूर्वानुमानों पर गहराई से विचार विमर्श किया गया। 

निर्माण एवं ध्वस्तीकरण कार्यों पर पाबंदी 
बैठक में फैसला लिया गया कि प्रदूषण की स्थिति को और खराब होने से रोकने के लिए ग्रैप के तीसरे चरण को लागू किया जाए। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में निर्माण एवं ध्वस्तीकरण कार्यों पर पाबंदी लगा दी गई है। इससे पूर्व 29 अक्तूबर को भी निर्माण और ध्वस्तीकरण पर पाबंदी की घोषणा की गई थी। लेकिन, बाद में वायु गुणवत्ता में हुए सुधार के बाद उसे वापस ले लिया गया था।

ये दायरे से बाहर रहेंगे
निर्माण और ध्वस्तीकरण पर लगी पाबंदी के दायरे से आवश्यक परियोजनाओं को बाहर रखा गया है। इसमें रेलवे, मेट्रो, एयरपोर्ट, बस टर्मिनल, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाएं, अस्पताल, हाईवे, रोड, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइप लाइन, सीवरेज और जलापूर्ति से जुड़े कार्य शामिल हैं। हालांकि, इन जगहों पर भी धूल रोधी निर्देशों के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित कराते हुए कार्य को जारी रखने को कहा गया है।

इन पर रहेगी रोक
ग्रैप समिति द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक आवश्यक परियोजनाओं के अलावा अन्य सभी परियोजनाओं में जमीन की खुदाई और ड्रिलिंग, निर्माण और फैब्रीकेशन आदि का कार्य, ध्वस्तीकरण के कार्य, निर्माण व ध्वस्तीकरण सामग्री की लोडिंग और अनलोडिंग, इन जगहों की कच्ची सड़क पर वाहनों की आवाजाही जैसे तमाम कार्यों पर पाबंदी रहेगी।

बिना स्वच्छ ईंधन के उद्यमों पर भी पाबंदी
आयोग ने स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करने वाले ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर पर भी पाबंदी लगाई है। ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों जहां पीएनजी की आपूर्ति मौजूद नहीं है और अगर वे निर्धारित ईंधन का उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उन्हें सप्ताह में सिर्फ पांच दिन ही चलाने की अनुमति होगी। जबकि, दूध और डेयरी उत्पादों से जुड़ी इकाइयां, चिकित्सा उपकरण, दवाइयां आदि बनाने की इकाइयों को भी पाबंदियों से बाहर रखा गया है।

वाहनों पर सरकार चाहे तो ले सकती है फैसला
ग्रैप समिति ने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला सरकारों पर छोड़ा है। समिति द्वारा निर्देशों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर की सरकारें अगर चाहें तो बीएस तीन वाले पेट्रोल और बीएस चार वाले डीजल चार पहिया वाहनों पर पाबंदी का फैसला ले सकती हैं।

लोगों को भी दिया परामर्श
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए लोगों को भी परामर्श दिया है। इसमें कहा गया है कि वे सार्वजनिक परिवहन, लोगों के साथ कार साझा करने या पैदल या साइकिल से कार्यालय जाने का विकल्प चुन सकते हैं। जबकि, अगर संभव हो तो वे वर्क फ्रॉम होम भी कर सकते हैं। गर्मी के लिए कोयला और लकड़ी का उपयोग नहीं होना चाहिए। ईंधन जलाए जाने से बचाने के लिए सिक्योरिटी के काम में लगे लोगों को इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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